एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी संपत्ति के पिछले मालिक का बिजली बकाया उसके बाद के मालिक या नीलामी के खरीदार से वसूल किया जा सकता है। (Previous owner electricity dues can be recovered from the new owner Supreme Court)
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने मामलों के एक बैच में एक संदर्भ का जवाब देते हुए ऐसा किया, जिसमें से एक मुद्दा यह था कि क्या पूर्व मालिक की बिजली बकाया राशि संपत्ति पर शुल्क का गठन करेगी।
अदालत के समक्ष उन्नीस मामलों में यह मुद्दा उठा, जिसमें विद्युत उपयोगिताओं ने नए खरीदारों को कनेक्शन प्रदान करने से इनकार कर दिया, जब तक कि पिछले मालिक का भुगतान नहीं किया गया। परिसर नीलामी में "जहाँ है जैसा है" के आधार पर बेचा गया और नीलामी में संपत्ति खरीदने वाले नए मालिकों ने परिसर में बिजली की आपूर्ति के लिए आवेदन किया।
नीलामी के फ्लैट के बारे में कोर्ट ेने सुनाया फैसला
कोर्ट ने अपना ये फैसला नीलामी के फ्लैट के संबंध मे सुनाया है। क्या बिजली अधिनियम 2003 की धारा 43 के तहत एक सार्वभौमिक सेवा दायित्व है, जो परिसर से जुड़ा हुआ है जहां कनेक्शन मांगा गया है। न्यायालय ने कहा कि अधिनियम की धारा 43 के तहत बिजली की आपूर्ति करने का कर्तव्य पूर्ण नहीं है और विद्युत उपयोगिताओं द्वारा निर्धारित ऐसे शुल्कों और अनुपालनों के अधीन है।
कोर्ट के इस फैसले की क़ॉपी में और भी कई अहम मुद्दे पर कोर्ट ने अपनी राय दी है।
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