महाराष्ट्र में 35 से 40 फीसदी बच्चे कुपोषण से ग्रस्त हैं। इसे देखते हुए प्रशासन ने पोषक आहार के रूप में 'ईजी नट पेस्ट पाकिट' नामसे एक खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराएगी। इस पैकेट में मूंगफली को पेस्ट के रूप में बच्चों को दिया जाएगा। लेकिन अब इस आहार पर उंगलियाँ उठनी शुरू हो गई हैं। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि इस पेस्ट से बच्चों के स्वाथ्य पर विपरीत असर पड़ेगा। सरकार के इस प्रस्ताव पर 'जन आरोग्य अभियान’ और ‘अन्न अधिकार अभियान' ने भी सवाल उठाते हुए इसका विरोध किया है। अभियान का आरोप है कि सरकार इस प्रस्ताव से कुपोषण दूर करना चाहती है या प्राइवेट कंपनियों को पोषित कर रही है।
अब तक 3 साल से छोटे बच्चों को THR मतलब TAKE HOME RATION ( गेहूं, सोयाबीन, और चने का मिश्रण) पोषक आहार दिया जाता है, लेकिन पोषक अधिकार समूहों द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार THR को मात्र 5 फीसदी ही बच्चों को दिया जाता है और बाक़ी 95 फीसदी फेंक दिया जाता है या फिर जानवरों को दे दिया जाता है। इस अनुभव को देखते हुए सरकार द्वारा फिर से पेस्ट पाकिट बनाना सही नहीं है। - पूर्णिमा उपाध्याय, खोज सामाजिक संस्था
अभियान ने आरोप लगते हुए कहा कि इजी नट पेस्ट पाकिट योजना के लिए लगभग 100 करोड़ रुपए की योजना है। इसके पहले सरकार द्वारा चलाई जा रही 18 करोड़ रुपए लागत की ग्राम बाल विकास केंद्र योजना असफल रही थी। इसीलिए पिछले तीन साल से कुपोषण से होने वाले बच्चों की मौतों में इजाफा हुआ है।
सरकार को इस योजना से अच्छा अनुभव नहीं मिला है उसके बाद भी वह यह प्रस्ताव ला रही है.यह पेस्ट कुपोषित बच्चों के लिए ठीक नहीं है.
डॉ. अभय शुक्ला, जनआरोग्य अभियान
ईजी नट पेस्ट पाकिट में कई हैं त्रुटियां-
कुपोषित बच्चों को समुचित संतुलित आहार दिया जाना अच्छी बात है लेकिन सवाल यह उठता है कि आदिवासी ईलाकों में यह योजना कैसे कारगर होगी जहाँ के लोग बेरोजगारी और जानकारी के आभाव से त्रस्त हैं।
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