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बेसिक पे और अलाउंस को जोड़ने पर कटेगा पीएफ


बेसिक पे और अलाउंस को जोड़ने पर कटेगा पीएफ
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नौकरीपेशा लोगों से जुड़े पीएफ के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से एक बड़ा निर्णय आया है। इस निर्णय के मुताबिक अब कंपनी की बेसिक सैलरी में से स्पेशल अलाउंस को अलग नहीं किया जाएगा। इसका मतलब बेसिक सैलरी और सारे स्पेशल अलाउंस को मिलाया जाएगा और उन्हें जोड़ने के बाद ही उसमें से 12 प्रतिशत पीएफ काटी जाएगी। हालांकि जिनकी सैलरी 15 हजार से ऊपर है वे इस कानून के दायरे में नहीं आएंगे। 

कंपनी के सीटीसी (COST TO COMPANY) में बेसिक सैलरी के अलावा, एचआरए, रिटायरमेंट बेनिफिट्स जैसे कई अलाउंस आते हैं।

इसे ऐसे भी समझ सकते हैं, उदाहरण के लिए अगर किसी की बेसिक सैलरी 6 हजार मिल थी है और अन्य अलाउंस के रूप में 14 हजार रूपये यानी कुल 20 हजार रूपये मिलते हैं, तो पहले उसके बेसिक सैलरी में से 12 फीसदी पीएफ काटे जाते थे लेकिन अब टोटल में से यानी 20 हजार में से पीएफ काटे जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट का फैसला लगभग सभी सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र की कंपनियों के सैलरी स्ट्रक्चर के मद्देनजर आया है।  

कानून के मुताबिक अगर किसी भी कंपनी में 20 या इससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं तो वह कंपनी या संस्था ईपीएफ कानून के दायरे में आती है, और इसमें कर्मचारियों की सैलरी से पीएफ काटने की कानूनी अनिवार्यता होती है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक इस कानून के तहत बेसिक पे यानी मूल वेतन से 12 प्रतिशत रकम काटकर पीएफ में डालना होता है जिसमें संस्था या कंपनी को भी अपनी तरफ से भी 12 प्रतिशत रकम का योगदान करना होता है। इसका 3.66% हिस्सा पीएफ में जबकि शेष 8.33% ग्रैच्युइटी में जाता है।

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