बोरीवली पूर्व नेशनल पार्क के अंदर के बने झोपड़ों को वन विभाग के अधिकारियों ने पुलिस के भारी बंदोबस्त के साथ ध्वस्त कर दिया। इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन लोगों को सिफ्टिंग दी गयी थी। ये लोग अपना सिफ्टिंग का घर भाड़े पर देकर यहां रह रहे थे।
वहीं स्थानीय लोगों ने कहा कि उन लोगों को सिफ्टिंग दी ही नहीं गयी है। यहां से विधायक प्रकाश सुर्वे ने इस तोड़क कार्रवाई का विरोध किया है।
खबर के मुताबिक नेशनल पार्क के अंदर कई गांव हैं जहां आदिवासी लोग कई वर्षों से रहते आ रहे हैं। 1994 में कोर्ट के आदेश के बाद वन विभाग ने नेशनल पार्क के अंदर और उससे सटे एरिया का सर्वे किया।
कोर्ट ने उन लोगों को शिफ्ट करने का आदेश दिया। अभी कुछ लोगों को अंधेरी पूर्व चांदीवली में शिफ्ट किया गया है। 1994 के पहले के रहने वालों ने 7 हजार रुपये भरे हैं लेकिन अभी तक केवल 10 प्रतिशत लोगों को ही शिफ्टिंग दी गयी है।
4 मई को दोपहर को वन विभाग के अधिकारी पुलिस बंदोबस्त के साथ पहुंचे और सैकड़ों झोपड़ों पर बुलडोजर चला दिया। इस सम्बन्ध में वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिन लोगों को शिफ्टिंग दिया गया है वे लोग मिले घर को भाड़े पर देकर यहां रह रहे हैं और जो नए झोपड़े बनाये गए हैं उन्हीं को तोडा गया है।
वहीं स्थानीय शिवसेना विधायक प्रकाश सुर्वे ने इस तोड़क कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। नए बन रहे झोपड़ों के बारे में उन्होंने कहा कि जब झोपड़े बन रहे थे नेशनल पार्क के अधिकारी क्या कर रहे थे।
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