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नोटबंदी को आज 2 साल पूरे, कितना हुआ फायदा और कितना हुआ नुकसान

नोटबंदी के बाद भी देश में नकदी के चलने में 9.05 फिसदी का इजाफा हुआ।

नोटबंदी को आज 2 साल पूरे, कितना हुआ फायदा और कितना हुआ नुकसान
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दो साल पहले यानी की 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात 8 बजे नोटबंदी का ऐलान किया। नोटबंदी का ऐलान करते समय प्रधानमंत्री ने कहा था की इस कदम के बाज जहां कश्मीर में पत्थरबाजों के पास पैसे आने बंद हो जाएंगे तो वही भारतीय अर्थव्यवस्था में दाखिल हुआ काला धन भी खत्म हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवंबर को रात आठ बजे दूरदर्शन के जरिए देश को संबोधित करते हुए 500 और 1000 के नोट बंद(Demonetization) करने का एलान किया था। लेकिन क्या वाकई नोटबंदी से देश को कई फायदा हुआ या फिर ये सिर्फ एक ऐसा कदम साबित हुआ जिसने आम लोगों को परेशानियों के सिवाय कुछ नहीं दिया।


105 लोगों की जान गई
नोटबंदी का ऐलान करने के साथ ही प्रधानमंत्री ने 500 और 1000 के नोट को बैंको में जमा करने का कहा और साथ ही लोगों से अपील की कि वह पूराने 500 और 1000 रुपये की नोट की जगह नये नोट बैंको से ले सकते है। हालांकी इस पूरे घटनाक्रम के दौरान बैंको के पास कई बार नये नोटों की किल्लत देखने को मिली। नोटबंदी के दौरान लगभग 105 लोगों की जान गई। इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जान जाने के मुद्दे को भी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने जमकर उठाय़ा।

नये नोटों की छपाई पर आठ हजार करोड़ खर्च
500 और 1000 के नोट को गैरकानूनी करार देने के बाद नये नोटों की छपाई शुरु की गई। हालांकी नये नोटों की छपाई में कुल आठ हजार करोड़ रुपये खर्च हुए जो की भारत के छोटे से राज्य का सालाना बजट होता है।

99.30 फीसदी नोट वापस
नोटबंदी को लागू करते वक्त सबसे बड़ा तर्क दिया गया था की देश में लिक्विड के रुप में जिन लोगों के पास काला धन है वे लोग उन पैसो को बैंको में जमा नहीं करेगे और वे पैसे बेकार हो जाएंगे। हालांकी हुआ उल्डा ठीक उसका। दो महीने पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि नोटबंदी के दौरान बंद हुए लगभग सभी पुराने नोट वापस आ चुके हैं । आरबीआई ने अपनी एनुअल जनरल रिपोर्ट में कहा कि कुल 99.30 फीसदी 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट वापस आ चुके हैं। यानी की कालेधन को लेकर जो दावा किया था वह भी कही नहीं टिका।

आरबीआई का भी बढ़ा खर्च
प्रिंटिंग और दूसरी लागत में वृद्धि का असर आरबीआई द्वारा सरकार को दिए जाने लाभांश पर पड़ा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2016-17 में उसकी आमदनी 23.56 प्रतिशत घट गई जबकि व्यय यानी खर्च दोगुने से भी ज्यादा 107.84 प्रतिशत बढ़ गया।


टैक्स भरनेवालों में इजाफा
वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 अगस्त की समाप्ति पर प्राप्त कुल रिटर्न की संख्या 71% बढ़कर 5.42 करोड़ रही। अगस्त 2018 तक दाखिल आयकर रिटर्न की संख्या 5.42 करोड़ है जो 31 अगस्त 2017 में 3.17 करोड़ थी। यह दाखिल रिटर्न की संख्या में 70.86% वृद्धि को दर्शाता है।

नोटबंदी के बाद फिर बढ़ा नकदी का चलन
आरबीआई द्वारा जारी किये गए एक आकड़े के मुताबिक 26 अक्टूबर 2018 तक बाजार में नकदी का चलन 19.06 लाख करोड़ हो गया है । हालांकी 4 नवंबर 2016 तक बाजार में कुल 17.09 लाख करोड़ रुपये की करंसी ही चलन में थी। यानी की नोटबंदी के बाद देश में नकदी के चलने में 9.05 फिसदी का इजाफा हुआ।


डिजिटल ट्रांजेक्शन में बढ़ावा
नोटबंदी के बाद देश में डिजिटल ट्रांजेक्शऩ में बढ़ावा हुआ है। अक्टूबर 2016 तक जहां सिर्फ 1.13 लाख करोड़ रुपये तक के ही डिजिटल ट्रांजेक्शन होते थे तो वही अगस्त 2018 में ये ट्रांजेक्शन 2.06 लाख करोड़ तक पहुंच गया है।

नोटबंदी पर विशेषज्ञों की राय बटी हुई है, कोई इसे टैक्स कलेक्शन और डिजिटल पेमेंट से जोड़ देखते है तो कोई इसे कालाधन और नकदी की बढती सीमा के रुप में देखते है।

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