90 के दशक के मशहुर शेयर बाजार घोटाले में कोर्ट ने 26 साल के बाद 10 लोगों को आरोपमुक्त करार किया है। बैंक ऑफ इंडिया के 7 और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (कैपिटल मार्केट लिमिटेड) के 3 कर्मचारियों को दोषी बनाया गया था। सीबीआई और सिक्युरिटी एंड फ्राॅड विभाग (एसबी) के अधिकारी इन लोगों पर आरोप तय नहीं कर पाये जिनके कारण कोर्ट ने इन 10 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है।
23 अप्रैल 2002 को मुख्य आरोपी हर्षद मेहता का निधन
1992 में, हर्षद मेहता ने बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर शेयर बाजार घोटाला किया और इस घोटाले की रकम 700 करोड़ रुपये थी। इस घोटाले के उजागर होने के बाद शेयर मार्केट में काफी तनाव देखने को मिला। न्यायमूर्ती शालिनी फणसालकर- जोशी ने इस मामले में सुधीर मेहता के साथ साथ हर्षद के चचेरे भाई दीपक, एनएचबी अधिकारी सी. रविकुमार और सुरेश बाबू, पूर्व स्टेट बैंक अधिकारी आर. सीताराम और दलाल अतुल पारेख को दोषी ठहराया था। लेकिन 23 अप्रैल 2002 को मुख्य आरोपी हर्षद मेहता का निधन हो गया।
आगे की जांच में इस मामले में बैंक ऑफ इंडिया के 7 और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (कैपिटल मार्केट लिमिटेड) के 3 कर्मचारियों को दोषी बनाया गया था। हालांकी 26 साल भी सीबीआई के अधिकारियों ने इन सभी आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत पेश नहीं किया जिसके कारण आज कोर्ट ने इन्हे दोष मुक्त कर दिया।
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