2014 से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने 'डिजिटल इंडिया' अभियान के साथ साथ कैसलेश स्किम को भी काफी बढ़ावा दिया था। इसके साथ ही सरकार ने चार साल पहले शहर में बढ़ते साईबर अपराध को रोकने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने चार साईबर क्राइम सेल खोलने का आश्वासन दिया था। हालांकी घोषणा के चार सा के बाद भी अभी तक इस ओर एक भी कदम नहीं उठाया गया है। सरकार की इस उदासिनता के कारण मुंबई और राज्य में साइबर अपराध में बढ़ोत्तरी देखी गई है।
46 'साइबर प्रयोगशालाएं' स्थापित करने का निर्णय
साइबर धोखाधड़ी, हैकिंग इत्यादि के अपराधों में भी वृद्धि हुई है। दो साल पहले मुख्यमंत्री फडणवीस ने राज्य में साइबर अपराधों को रोकने के लिए महाराष्ट्र साइबर सुरक्षा परियोजना की घोषणा की थी। इसके साथ ही गृह विभाग ने पूरे राज्य में संबंधित जिला मुख्यालय और पुलिस आयुक्त कार्यालयों में पूरे राज्य में 46 'साइबर प्रयोगशालाएं' स्थापित करने का निर्णय लिया था।
20 शिकायतें रोजाना
फिलहाल मौजूदा समय में बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में स्थित केवल एक ही साइबर पुलिस स्टेशन है। एक साइबर पुलिस स्टेशन होने के कारण लोगों की काफी शिकायतों का निवारण नहीं हो पाता है। हर दिन, साइबर पुलिस स्टेशन पर औसतन 20 शिकायतें दर्ज की जाती हैं और फोर्स में संख्या कम होने के कारण इतनी सारी शिकायतों का समाधान नहीं हो पाता है।
सरकार ने बांद्रा में चार साइबर क्राइम सेल खोलने के लिए भूमि और पुलिस अधिकारियों का भी आवंटन किया है। जिसमें पश्चिमी मुंबई के लिए दो और पूर्वी मुंबई के लिए दो सेल शामिल हैं।
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