मुंबई में साइबर धोखाधड़ी 1,200 करोड़ रुपये तक पहुंची

हालांकी अभी तक इन मामलो मे सिर्फ 12 प्रतिशत की ही रीकवरी हो पाई है।

मुंबई में साइबर धोखाधड़ी 1,200 करोड़ रुपये तक पहुंची
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मुंबई की साइबर पुलिस इकाई को करीब एक साल बाद आखिरकार एक पूर्णकालिक प्रमुख मिल गया है। पुरुषोत्तम नारायण करहाद को शुक्रवार, 30 मई को साइबर पुलिस उपायुक्त (DCP) के रूप में नियुक्त किया गया। 29 मई, 2023 से विभाग के पास कोई पूर्णकालिक डीसीपी नहीं है। (Cyber frauds in Mumbai reached INR 1,200 crore in 2024, Only 12% recovered)

2024 में 1,200 करोड़ रुपये तक की धोखाधड़ी

यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब शहर में साइबर धोखाधड़ी 2024 में 1,200 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। चोरी हुए पैसे की वसूली की दर सिर्फ 12 प्रतिशत है। करहाद पहले मुंबई पुलिस के खुफिया विभाग, विशेष शाखा में तैनात थे। अब वह पूर्णकालिक डीसीपी साइबर के रूप में आपराधिक शाखा के तहत कार्यभार संभालेंगे।

साइबर पुलिस पद पर पहले डीसीपी बलसिंह राजपूत 29 मई, 2023 तक काबिज थे। तब से, आपराधिक शाखा के कई अधिकारियों ने अतिरिक्त प्रभार के रूप में भूमिका निभाई है। डीसीपी साइबर के अतिरिक्त प्रभार वाले अंतिम अधिकारी डीसीपी (डिटेक्शन) दत्ता नलावड़े थे। वे शुक्रवार को जोन 10 में अपने पिछले पद पर लौट आए।

पूर्णकालिक प्रमुख की मांग 

डीसीपी साइबर मुंबई में पाँच क्षेत्रीय साइबर पुलिस स्टेशनों की देखरेख करते हैं। ये स्टेशन 10 लाख रुपये से अधिक की राशि वाले सभी बड़े साइबर अपराध मामलों को संभालते हैं।रिपोर्ट के अनुसार, साइबर धोखाधड़ी अक्सर डेटा चोरी से जुड़ी होती है।

जालसाज चोरी किए गए डेटा का इस्तेमाल नए पीड़ितों को खोजने और उन्हें निशाना बनाने के लिए करते हैं। एक पूर्णकालिक डीसीपी ऐसी डेटा चोरी को रोकने के लिए अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर सकता है। वे नए खतरों का पता लगाने और नुकसान होने से पहले उन्हें रोकने के तरीके भी खोज सकते हैं।

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