ड्रग तस्करों का 'ऑनलाइन' धंधा, पुलिस के लिए बना सिरदर्द

पुलिस ने खुलासा किया है कि नशीले पदार्थों को बेचने और खरीदने के लिए अब 'ऑनलाइन फार्मेसी का अधिकतर इस्तेमाल किया जाता है.

ड्रग तस्करों का 'ऑनलाइन' धंधा, पुलिस के लिए बना सिरदर्द
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नया साल मतलब जश्न, मजा कर मस्ती। युवा वर्ग इस मजा और मस्ती के लिए नशे का सेवन करने से भी गुरेज नहीं करते, इसीलिए नए साल के अवसर पर ड्रग तस्कर काफी सक्रीय हो जाते हैं। इसे देखते हुए पुलिस भी काफी चौकन्नी हो गयी है। ड्रग तस्करों ने भी ड्रग तस्करी के लिए नए-नए नुस्खे आजमा रही है, तो 'तू डाल-डाल मैं पात-पात' की तर्ज पर पुलिस भी कम साबित नहीं है। पुलिस ने खुलासा किया है कि नशीले पदार्थों को बेचने और खरीदने के लिए अब 'ऑनलाइन फार्मेसी का अधिकतर इस्तेमाल किया जाता है। यह खुलासा किया है एएनसी ने यानी एंटी नारकोटिक्स सेल ने।

टारगेट पर होते थे युवा  

नारकोटिक्स सेल के अनसार ऐसी कई दवा कंपनियां हैं जो अपने प्रोडक्ट ऑनलाइन बेचती हैं। इसी का फायदा उठाया ड्रग तस्करों ने। ड्रग तस्कर फर्जी दवा कंपनियों के नाम पर ड्रग सप्लाई का काम करते हैं। ये तस्कर सोशल मीडिया के द्वारा नशीली वस्तुओं की बिक्री करते थे और इनके निशाने पर मुख्य रूप से युवा होते थे।

बिटक्वाइन से होती थी खरीद फरोख्त

ऑनलाइन धंधे का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि ग्राहक इसे घर बैठे भी आर्डर दे सकता है। नारकोटिक्स सेल ने आगे बताया कि ड्रग खरीदने के लिए पहले ग्राहकों को संबंधित वेबसाइट की मेंबरशिप लेनी पड़ती है। इसके लिए लाखो रुपए के बिटक्वाइन खरीदना पड़ता था, और बिटक्वाइन के जरिये भुगतान के बाद ही इसकी मेंबरशिप मिलती थी। यही नहीं जब तक तस्कर इस बात की पुष्टि नहीं कर लेते थे कि ग्राहक ड्रग के लिए ही मेम्बरशिप ले रहा है तब तक तस्कर ग्राहकों को रजिस्ट्रड नहीं करते थे।

फेसबुक और वाट्सअप बना बेचने का जरिया

सेल के अनुसार यह नशीले पदार्थ कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को खास तौर पर बेचा जाता था। इसके लिए तस्कर सोशल मीडिया और कोड वर्ड का यूज करते थे। वाट्सअप और फेसबुक ग्रुप पर कोड भाषा के जरिये पार्टी आयोजन की सुचना दी जाती थी। पार्टी में ड्रग भी मिलेगी इसके लिए 'फिल हाय' और 'ट्रान्स’ जैसे कोडवर्ड्स के जरिये कोकीन केटामाइन और टूसीबी जैसे नशीले पदार्थों को बेचा जाता था।

बड़े होटल और इवेंट मैनेजमेंट कंपनियां निशाने पर

नारकोटिक्स सेल के अधिकारी ने बताया कि यह नशीले पदार्थ बड़ी मात्रा में फाइव स्टार होटलों और इवेंट मैनेजमेंट आयोजित करने वाली कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। अधिकारी के अनुसार किसी को शक न हो इसीलिए कुरियर के द्वारा भी इसे ख़रीदा और बेचा जाता है। इसे देखते हुए अब नारकोटिक्स सेल की रडार पर बड़े बड़े होटल, इवेंट कंपनियां और कुरियर कंपनियां हैं।

विदेशी तस्करों की भरमार

मुंब्रा, दिवा, मीरा रोड, वसई और नवी मुंबई में रहने वाले कई विदेशी ऐसे भी हैं जो नशीले पदार्थों की तस्करी में शामिल होते हैं इनमें बड़ी मात्रा में नाइजीरियन शमिल होते हैं। पुलिस ने कई केसेज में इनके पास से एमडी, एफेड्रिन सहित कई नशीली वस्तुएं बरामद की हैं। एक अनुमान के मुताबिक़ ड्रग तस्करी के केसेज में जितने भी विदेशी तस्करों की गिरफ्तारी होती हैं उनमें लगभग 95 फीसदी नाइजीरियन होते हैं। इस मामले में पुलिस ने साल 2016 से लेकर 2017 तक 23 नाइजीरियनों को गिरफ्तार किया है।

पहले इन तस्करों को पकड़ने के लिए खबरियों की सहायता ली जाती थी, लेकिन इंटरनेट के जरिये काम होने के बाद खबरियों के द्वारा इन्हे पकड़ना मुश्किल होने लगा। सोशल मीडिया के जरिये इन्हे कैसे रोका जाये इस बात की जानकारी पुलिस कर्मियों को दी जा रही है। इसके लिए साइबर पुलिस की भी सहायता ली जा रही है।

- शिवदीप लांडे, पुलीस उपायुक्त (एंटी नारकोटिक्स सेल)




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