वित्तीय अपराधी अब विशेष रूप से पहचाने जाएंगे

अपराधियों को एक विशेष पहचान संख्या दी जाएगी और यह जानकारी उनके आधार, पैन नंबर से भी जुड़ी होगी

वित्तीय अपराधी अब विशेष रूप से पहचाने जाएंगे
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पिछले कुछ वर्षों में वित्तीय अपराध में जबरदस्त वृद्धि हुई है, इसलिए केंद्र सरकार ने इसे रोकने के लिए ऐसे अपराधों में शामिल व्यक्तियों या कंपनियों का एक डेटाबेस बनाने का निर्णय लिया है। 'राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड विभाग' की तर्ज पर 'राष्ट्रीय वित्तीय अपराध रिकॉर्ड' नाम का यह डेटाबेस केंद्रीय वित्तीय खुफिया विभाग तैयार करने जा रहा है। (Financial Offenders will be Specially Recognised decision to prepare database of accused persons companies across the country) 

इसमें अपराधियों को एक विशेष पहचान संख्या दी जाएगी और यह जानकारी उनके आधार, पैन नंबर से भी जुड़ी होगी।केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली केंद्रीय वित्तीय खुफिया इकाई ने अब तक ढाई लाख वित्तीय अपराधियों और कंपनियों का ब्योरा जुटाया है। इन विवरणों के आधार पर 'राष्ट्रीय वित्तीय अपराध रिकॉर्ड' (NEWOR) नामक एक डेटाबेस तैयार किया जाएगा।

इसके लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के माध्यम से प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह निर्देशिका अगले चार से पांच महीनों में तैयार होने की संभावना है। इसलिए, देश की केंद्रीय प्रणाली के साथ-साथ राज्य की जांच प्रणालियों में दर्ज वित्तीय अपराधों को अलग से दर्ज किया जाएगा।

केंद्रीय अपराध जांच विभाग, प्रवर्तन महानिदेशालय, सीमा शुल्क विभाग, आयकर विभाग, राजस्व खुफिया महानिदेशालय, वस्तु एवं सेवा कर-आसूचना, गंभीर आर्थिक अपराध जांच विभाग और राज्य आर्थिक अपराध विभाग स्वत: ही इस डेटाबेस से जुड़ जाएंगे। वित्तीय अपराधी का आधार नंबर या कंपनी का पैन नंबर दर्ज होते ही वित्तीय अपराधों की पूरी जानकारी तुरंत मिल जाएगी।

केंद्रीय आर्थिक खुफिया विभाग ने देश के साथ-साथ राज्य में विभिन्न जांच एजेंसियों के पास दर्ज 56,900 अपराधों में से साढ़े आठ हजार अपराधियों का एक डोजियर तैयार किया है, जो गंभीर वित्तीय अपराध करने के लिए जेल में हैं। इन घटनाक्रमों से जुड़े सूत्रों ने दावा किया कि राष्ट्रीय आर्थिक अपराध रजिस्टर के कारण अब यह जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सकेगी। 

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