झारखंड से गरीब नाबालिग बच्चों को लाकर मुंबई में अपराध की दुनिया में धकेल दिया जाता है!

इस गैंग को ऑपरेट करने वाले लोग इनके घर वालों को पैसे देकर इन्हें मुंबई लाया जाता है और फिर इनसे भीख मंगाया जाता है, साथ ही इन चोरी करना, भीड़ से लोगों का सामान गायब करना, मोबाइल चोरी करना जैसे काम का भी प्रशिक्षण दिया जाता है।

झारखंड से गरीब नाबालिग बच्चों को लाकर मुंबई में अपराध की दुनिया में धकेल दिया जाता है!
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भीड़भाड़ का फायदा उठा कर मोबाइल चोरी करने वाई गैंग को यलोगेट पुलिस ने पकड़ा है। चौकानें वाली बात यह है कि इस गैंग के सभी मेंबर नाबालिग बच्चे हैं, जी हां, सही सुना आपने, नाबालिग बच्चे जिनकी उम्र 12 से लेकर 17 वर्ष तक होती है, क्योंकि अकसर इन बच्चों पर कोई शक नहीं करता। यही नहीं इन बच्चों को बाकायदा इस काम के लिए प्रशिक्षण दिया जाता था। यह गैंग मुंबई महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में भी सक्रिय था।

क्या है मामला?
बताया जाता है कि मूलरूप से झारखंड के रहने वाले इन बच्चों को कुछ दिन पहले ही मुंबई लाया गया था। यालोगेट पुलिस ने इन बच्चों को उस समय गिरफ्तार किया जब ये भीड़ का फायदा उठा कर मोबाइल चोरी का काम कर रहे थे। इन बच्चों के पास से पुलिस ने 30 मोबाइल फोन बरामद किया। पुलिस को पूछताछ में इस बार का भी पता चला कि ये बच्चे मोबाइल चोरी करने के बाद उसे बेचने के लिए नेपाल और बांग्लादेश भेजा करते थे।

अपराध का रास्ता गरीबी के कारण 
पुलिस के मुताबिक झारखंड के रहने वाले ये सारे बच्चे बेहद ही गरीब परिवेश से आते हैं। इस गैंग को ऑपरेट करने वाले लोग इनके घर वालों को पैसे देकर इन्हें मुंबई लाया जाता है और फिर इनसे भीख मंगाया जाता है, साथ ही इन चोरी करना, भीड़ से लोगों का सामान गायब करना, मोबाइल चोरी करना जैसे काम का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। इनके रहने-खाने का सारा जिम्मा गैंग ऑपरेट करने वाली बड़ी गैंग पर होता है।

पकड़े जाने पर भेज दिया जाता है गांव 
यही नहीं अगर कोई बच्चा चोरी करते पकड़ा जाता है तो पहले तो उसे छुड़ाने के सारे प्रयास किये जाते हैं, पुलिस से छोटा बच्चा होने का हवाला दिया जाता है, फर्जी मां-बाप को खड़ा कर बच्चे की पढ़ाई की दुहाई देकर उसे छोड़ने की गुहार लगाई जाती है। अगर इतने पर भी पुलिस नहीं मानती है तो वकीलों के द्वारा प्रयास किया जाता है। प्रयास यही किया जाता है कि बच्चे का नाम से केस दर्ज न हो पाए, और अगर केस दर्ज हो जाता है तो बच्चे को फिर से गैंग में शामिल नहीं किया जाता बल्कि उसे उसके गांव भेज दिया जाता है।  

त्योहारी सीजन में बढ़ जाती है चोरी 
इस गैंग की कमाई अकसर त्योहारी सीजन में बढ़ जाती है, इन्हें खास तौर पर मुंबई में गणेशोत्सव, गुजरात में डांडिया और कलकत्ता में नवरात्रि उत्सव के लिए भेजा जाता था। इसके अलावा यह गैंग मुंबई के सीएसटी स्टेशन, चर्चगेट, हाजी अली, सिद्धि विनायक मंदिर, सेंट माउंट मैरी जैसे भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर अधिक सक्रीय रहता था।

एप्पल के मोबाइल नहीं चुराते थे
पुलिस आगे बताती है कि यह गैंग सैमसंग, ओप्पो, श्याओमी जैसे कंपनी के मोबाइल अधिक चोरी करते थे जबकि एप्पल के मोबाइल चोरी करने की शख्त मनाही थी क्योंकि एप्पल के मोबाइल को ट्रैक किया जा सकता है, जबकि अन्य कंपनियों के मोबाइल को ट्रैक नहीं किया जा सकता है।

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