'साहब! तीन लोग अंबानी और ओबेरॉय जैसी हस्तियों को मारने की प्लानिंग बना रहे हैं'


'साहब! तीन लोग अंबानी और ओबेरॉय जैसी हस्तियों को मारने की प्लानिंग बना रहे हैं'
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समय- रात के 1 बजे
स्थान - मुंबई पुलिस मुख्यालय
दिन- शनिवार

पुलिस मुख्यालय गेट पर खड़ा एक व्यक्ति काफी परेशान अवस्था में गेट पर खड़े सुरक्षाकर्मी से गुहार लगाते हुए कहता है कि उसके पास काफी इम्पोर्टेन्ट खबर है और वह इसी समय कमिश्नर साहब से मिलना चाहता है। और जब सुरक्षाकर्मी उससे पूछता है कि क्या खबर है, तो व्यक्ति केवल कमिश्नर साहब को ही बताने की जिद करके फिर से मिलने के लिए निवेदन करता है। सुरक्षाकर्मी द्वारा बार-बार वह इम्पोर्टेन्ट बात बताने को कहता है लेकिन वह व्यक्ति भी जिद करके बैठा था कि वह केवल कमिश्नर को ही बात बताएगा। लेकिन सुरक्षाकर्मी उसे अंदर नहीं जाने देता  है।

क्या है मामला?
शुरुआत में पुलिस व्यक्ति को शराब के नशे में समझती है, लेकिन उसके पहनावे और डील डौल नजरअंदाज करने वाले नहीं थे। आखिरकार किसी आशंका की डर से पुलिस उस व्यक्ति को एलटी मार्ग पुलिस स्टेशन लेकर आती है। यह खबर इलाके के डीसीपी को दी जाती है और डीसीपी आकर उससे बात कर उससे वह सबकुछ बताने के लिए कहते हैं जो उसके पास इम्पोर्टेंट खबर है। लेकिन यहां भी यह व्यक्ति कमिश्नर से मिलने की जिद करते हुए कुछ भी नहीं बताता। आखिरकर डीसीपी द्वारा कई घंटों की मशक्कत के बाद वह शख्स वह इम्पोर्टटेंट खबर बताने की सहमति जताता है।

'कुछ लोग अंबानी ओबरॉय को मारना चाहते हैं'
वह शख्स डीसीपी को बताता है कि वह मूलतः सतारा के कोरेगांव इलाके का रहने वाला है और उसका नाम विनायक बर्गे है। वह मुंबई घूमने के लिए आया हुआ है। उसके पास काफी पैसा है इसलिए उसे मराठी फिल्म बनानी है और इसके लिए उसे किसी योग्य व्यक्ति की तलाश है। शनिवार की रात जब वह अपने एक दोस्त के साथ जुहू बीच पर घूम रहा था तो उसने तीन लोगों को अंबानी, ओबेरॉय जैसे उद्योगपतियों की हत्या करने की साजिश बनाते सुना। इसके बाद वह सीधे पुलिस कमिश्नर को यह बात बताने पुलिस मुख्यालय आ गया।

                                      (प्रोफ़ाइल पिक- विनायक बर्गे)

पुलिस मशीनरी आई हरकते में
इतना सुनना था कि डीसीपी सहित वहां उपस्थित पुलिस कर्मियों के होश फाख्ता हो गए। आनन-फानन ने डीसीपी ने तुरंत जुहू पुलिस से बात की, जुहू पुलिस भी तत्काल हरकत में आते हुए वहां एक टीम भेजी और उन तीन संदिग्धों शुरू की। काफी खोजबीन के बाद वहां पर कोई नहीं मिला, लेकिन पुलिस कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती थी इसीलिए कई बार उन तीनों संदिग्धों की तालश की लेकिन पुलिस को हर बार नाकामयाबी ही हाथ लगी। इतने देर तक मुंबई पुलिस की सारी मशीनरी हरकते में आस चुकी थी। 

                                      (प्रोफ़ाइल पिक- विनायक बर्गे)

सामने आई असलियत 
पुलिस हर बार जाती और थकहार कर वापस आ जाती, इसी बीच 'अनुभवी' पुलिस को विनायक की बातों पर शक होने लगा। जब पुलिस ने कड़ाई से उससे पूछताछ की तो विनायक टूट गया और उसने जो बताया वह सुन कर पुलिस ने अपना सिर पीट लिया।

साजिश या हकीकत 
विनायक ने पुलिस को बताया कि उसके द्वारा बताई गयी सभी बातें झूठ है, वह केवल यह चेक करना चाहता था कि आपताकाल परिस्थितयों में मुंबई पुलिस कितनी तैयार रहती है। इसके बाद पुलिस ने विनायक को सरकारी काम में दखल देने, परेशान करने के लिए आईपीसी की धारा 505(2),177,102 के तहत गिरफ्तार कर लिया।

विनायक ने हत्या वाली बात को छोड़कर अपने बारे में जो भी पुलिस को बताया था वह सभी बातें सही हैं। विनायक काफी पैसे वाला है और वह फिल्म बनाना चाहता है।

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