मुंबई पुलिस ने पिछले महीने डिजिटल रक्षक नाम से एक नई 24 घंटे की हेल्पलाइन सेवा शुरू की। इसके शुरू होने के लगभग 20 दिनों के भीतर ही पुलिस डिजिटल गिरफ्तारी का शिकार हुए पांच लोगों के पैसे बचाने में सफल रही। साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए, मुंबई पुलिस ने 17 अप्रैल को डिजिटल रक्षक सेवा शुरू की। (Mumbai Police Digital Rakshak helpline saves 5 from digital arrest cons within 1 month of launch)
डिजिटल रक्षक हेल्पलाइन का बढ़ता इस्तेमाल
यह साइबर धोखाधड़ी के शिकार को मार्गदर्शन और परामर्श प्रदान करती है। इसके अलावा, साइबर धोखाधड़ी के कई मामलों में, साइबर अपराधी सरकारी अधिकारी बनकर सामने आते हैं और यदि कोई व्यक्ति ऐसी घटना का शिकार हुआ है, तो उसकी पुष्टि के लिए भी डिजिटल रक्षक हेल्पलाइन का उपयोग किया जाता है।
एक मामले में, चेंबूर के एक वरिष्ठ नागरिक साइबर धोखाधड़ी का शिकार होने से बाल-बाल बचे। जालसाज ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए व्हाट्सएप वीडियो कॉल किया था। कॉल के दौरान, उसने झूठा दावा किया कि वरिष्ठ नागरिक के बैंक खाते से बड़ी मात्रा में वित्तीय लेन-देन हुआ है, जिसका कथित तौर पर हवाला कारोबार के लिए इस्तेमाल किया गया है। अधिकारी ने कहा कि कॉल करने वाले ने आगे दावा किया कि पीड़ित के पैन कार्ड और आधार कार्ड का इस्तेमाल लेन-देन में किया गया है और यहां तक कि गिरफ्तारी की धमकी भी दी।
घोटाले को वैध दिखाने के लिए, जालसाज ने व्हाट्सएप के जरिए सीबीआई के "लेटरहेड" पर एक फर्जी नोटिस भी भेजा। अधिकारी ने कहा कि जब कॉल चल रही थी, तब वरिष्ठ नागरिक की बेटी घर पहुंची और उसने देखा कि उसके पिता काफ़ी घबराए हुए थे। कॉल के बारे में जानने के बाद, उसने तुरंत 7400086666 पर डिजिटल रक्षक हेल्पलाइन से संपर्क किया। उसने नोटिस की तस्वीरें साइबर पुलिस के साथ साझा कीं, जिन्होंने तुरंत जवाब दिया और पुष्टि की कि दस्तावेज़ नकली थे और कॉल डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले का हिस्सा था।
स्पष्टीकरण के बाद, वरिष्ठ नागरिक और उनकी बेटी दोनों को राहत मिली। अधिकारियों ने कहा कि ऐसे चार और मामले थे जिनमें डिजिटल रक्षक हेल्पलाइन द्वारा समय पर हस्तक्षेप करने से इस तरह के घोटाले रोके गए और वरिष्ठ नागरिकों की गाढ़ी कमाई सुरक्षित रही।
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