सी लिंक के कारण मुंबई को एक अलग पहचान मिली है। इस सी लिंक पर लाखों की संख्या में रोजाना गाड़ियां आती जाती है। हालांकी हजारों करोड़ रुपये खर्च करके बनाई गई सी-लिंक की सुरक्षा पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। मुंबई पर 26/11 के हमलों के बाद, सी-लिंक की सुरक्षा को और भी मजबूत करने का फैसला किया गया था हालांकी इसेक बाद भी इस ओर कोई खास काम नहीं किया गया। हालांकी पुलिस ने अब सी लिंक की सुरक्षा को और भी बढ़ाने का फैसला किया है। मुंबई की समुद्री सुरक्षा की दिशा में मुंबई पुलिस ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सी लिंक के पास से कोई भी अंजान बोट ना जा सके इसके लिए सी-लिंक पिलर को लोहे की सलाखों से बंद कर दिया जाएगा।
26/11 आतंकी हमले के लिए आंतकवादियों ने समुद्री रास्ते का ही इस्तेमाल किया था। जिसके बाद से शहर में करिब 72 लैंडिंग प्लाइंट्स पर सुरक्षा काफी बढ़ा दी गई थी। हालांकी सी लिंक की सुरक्षा बढ़ाने की भी बात कही गई थी , लेकिन उस ओर कोई खास ध्यान नहीं दिया गया। सी लिंक की सुरक्षा के लिए वर्ली कोलीवाडा स्टेशन से दो सशस्त्र पुलिस अधिकारियों को नियुक्त किया गया है।
2008 में आतंकवादी हमले के बाद, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त डी शिवनंदन ने MSRDC को एक पत्र लिखकर आगाह किया था ही सी लिंक आतंकियों के निशाने पर हो सकता है। उस समय , मुंबई के तत्कालिन पुलिस आयुक्त संजय बर्वे राज्य सचिवालय अनुभाग में कार्यरत थे। उन्हें इस तरह के खतरे की सूचना थी। सी लिंक को उड़ाने के लिए कई फोन कॉल आए।
अब सी लिंक के पास 24 घंटे गश्त
सी लिंक की सुरक्षा को ध्यान मे रखते हुए पुलिस ने अब सी लिंक के पास 24 घंटे गश्त करने का फैसला किया है। इसके साथ ही MSRDC ने समुद्री सुरक्षा को देखते हुए सी लिंक पर 80 कैमरे लगाए हैं। सी लिंक पर आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए पहले ही गाड़ियों को सी लिंक पर रोकने पर मनाही है। इसके साथ ही कोई भी अनजान नाव (शिवाजीपार्क), प्रभादेवी, वरली, माहिम परिसर से सी लिंक के पासा आसानी से ना जा सके इसके लिए एमएसआरडीसी की मदत से कोली समुदाय के लोगों की नाम जिस किनारे से आते है उन किनारो को छोड़कर सी लिंक के अन्य पिलर के बीच में नाव के इस्तेमाल पर पाबंद लाने का फैसला किया है।
ट्रालर नाव से रखी जाएगी नजर
जिन जगहों से कोली समुदाय के लोगों की नाव आती जाती है उन जगहों पर ट्रोलर नाव के जरिए 24 घंटे गश्त की जाएगी। एमएसआरडीसी द्वारा कोली बांध को इस सूचना के बारे में पुलिस ने बता दिया है। दक्षिण प्रादेशिक विभाग के अपर पुलिस आयुक्त निशित मिश्रा ने इस बात की जानकारी दी।
26/11 के बाद, सरकार ने मुंबई के महत्वपूर्ण तटीय पुलिस चौकियों की स्थापना करने की घोषणा की थी। हालांकि, 10 साल के बाद भी पुलिस को अभी तक ये चौकियां नहीं मिली है। हालांकी इस बीच वर्ली के एक इलाके में तटीय पुलिस चौकी बनाने की कोशिश की गई लेकिन मछुआरो की जमीन होने के कारण पुलिस को ये जगह नहीं मिली। इसके बाद, वर्ली पुलिस ने महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) के सी-लिंक पर तटिय चौकी निर्माण करने का प्रस्ताव रखा लेकिन अभी तक यह भी नहीं बन पाया है।
वर्ली नाखवा फिशरमन सोसासटी के चेयरमैन हरिशचंद्र नाखवा का कहना है की " सुरक्षा कारणों से पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों की कोई जानकारी हमें नहीं दी गई है। MSRDC या पुलिस ने हमारे साथ कोई बैठक नहीं की। सी-लिंक पोल के नीचे कई बड़े पत्थर हैं। नाव उस जगह से बच नहीं सकती। दोनों कोलीवाड़ा में 500 नावें हैं। इसके लिए कम से कम 200 मीटर की जगह की उम्मीद है। पुलिस एक जगह पर 60 मीटर और दूसरी जगह पर 160 मीटर की दूरी छोड़ती है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से कदम उठाते हुए, दोनों कोलीवाड़ा में मछुआरों को विश्वास में लिया जाना चाहिये और उनकी समस्याओं पर भी ध्यान देना चाहिये"।