प्रीती राठी... दिल्ली के सामान्य परिवार की एक सामान्य लड़की... पर उसके सपने असामान्य हैं। अत्यंत होनहार, मेहनती प्रीती खुद के पैरों पर खड़ा होने का प्रयास कर रही है। मां-बाप का नाम रोशन करने के लिए प्रीती मुंबई आने का विचार करती है। 2 मई 2013... का दिन प्रीती व उसके माता पिता के लिए काला दिन साबित हुआ। मुंबई के नेवी हॉस्पिटल में ज्वाइन होने के लिए 2 मई 2013 को प्रीती बांद्रा टर्मिनस पर उतरती है। प्रीती के उतरते ही उस पर एसिड से हमला होता है।
इस हमले से प्रीती बुरी तरह से जल चुकी थी। प्रीती को भायखला में एडमिट किया गया। कड़े प्यास के बाद भी डॉं प्रीति को बचाने में असफल रहे। पुलिस की जांच शुरु हुई। साल भर के अथक प्रयास के बाद आरोपी हाथ लगा। आरोपी अंकुर ने गुनाह कबूल किया। लेकिन जो उसने पुलिस के सामने कहा उसको सुनकर पैरों तले जमीन खिसक जाए। प्रीती और अंकुर बचपन के दोस्त थे। प्रीती होनहार, मेहंती पर अंकुर उसके उलट। जिसकी वजह से अंकुर के घरवाले हमेशा उसे प्रीती की उलाहना देते थे। दिन ब दिन अंकुर के मन में प्रीती के लिए नफरत फैलती गई। प्रीती ने अंकुर से शादी के लिए भी मना कर दिया। जिससे अंकुर का पुरुष अहंकार जागा। और उसने प्रीती की एसिड से जान ले ली। मंगलवार को मुंबई सत्र न्यायालय ने आरोपी अंकुर पनवारला को दोषी ठहराया। न्यायालय ने कलम 302 व कलम 326 ब अंतर्गत अंकुर को दोषी पाया। क्या प्रीती का होनहार मेहंती, जिद्दी होना गुनाह था? अभिभावकों ने अपने बच्चे के साथ भेदभाव किया, दूसरी बात लड़की से तुलना की यह कितना खतरनाक साबित हुआ।