सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को लगाई फटकार, अर्नब गोस्वामी को दी जमानत

मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा जमानत अर्जी को खारिज करने के बाद अर्नब गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उनकी याचिका पर न्यायमूर्ति धनंजय चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई।

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को लगाई फटकार, अर्नब गोस्वामी को दी जमानत
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सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने बुधवार को रिपब्लिक टीवी (republic tv)  के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी (arnab goswami) को अंतरिम जमानत दे दी। अर्नब को एक इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक (anvay naik) को आत्महत्या (suicide) के लिए उकसाने के आरोप में लालबाग पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जमानत मिलनेे से अर्नब को बड़ी राहत मिली है।

अर्नब गोस्वामी के साथ गिरफ्तार दो अन्य आरोपियों को भी जमानत दे दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी को 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी।

इसके पहले मुंबई उच्च न्यायालय द्वारा जमानत अर्जी को खारिज करने के बाद अर्नब गोस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उनकी याचिका पर न्यायमूर्ति धनंजय चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई।

जस्टिस चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की बेंच ने माना कि बॉम्बे HC को मामले में आरोपी को अंतरिम जमानत दे देनी चाहिए थी।

सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'यदि हम एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा? अगर राज्य सरकारें किसी व्यक्ति को जानबूझकर टारगेट करती हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत है।'

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार को सलाह देते हुए कहा, 'हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है। महाराष्ट्र सरकार को इस सब (टीवी पर अर्नब गोस्वामी के तानों) को नजरअंदाज करना चाहिए।'

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'मैं अर्नब का चैनल नहीं देखता और आपकी विचारधारा भी अलग हो सकती है, लेकिन कोर्ट अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा नहीं करेगा तो यह रास्ता उचित नहीं है। अगर कोई सरकार पर आत्महत्या का आरोप लगाता है तो क्या आप सरकार को गिरफ़्तार कर लेंगे?

जस्टिस चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र पुलिस से पूछा, 'अगर उन पर पैसा बकाया है और कोई आत्महत्या करता है, तो क्या यह अपहरण का मामला है? क्या यह कस्टोडियल पूछताछ का मामला है? अगर एफआईआर अभी भी लंबित है तो क्या उसे जमानत नहीं दी जाएगी?'

अर्नब गोस्वामी की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे (harish salve) ने तर्क दिया कि, अर्नब गोस्वामी और अन्वय नाइक के बीच कोई निजी संबंध नहीं था। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि आत्महत्या को केवल एक समझौते के आधार पर प्रोत्साहित किया जाता है। दस्तावेजों से स्पष्ट है कि अर्नब गोस्वामी ने सभी को भुगतान किया था। इतना ही नहीं, बल्कि अनवय नाइक की कंपनी कॉनकॉर्ड डिज़ाइन्स पिछले 7 वर्षों से वित्तीय संकट का सामना कर रही थी।

हरीश साल्वे ने कहा कि, 20 से 30 पुलिसकर्मियों ने बिना सूचना घर जाकर अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार कर लिया। और फिर उसे सीधे मुंबई से रायगढ़ ले जाया गया। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला था। हरीश साल्वे ने इस मामले की सीबीआई (cbi) जांच की भी मांग की।

राज्य सरकार की ओर से जमानत का विरोध करते हुए अधिवक्ता सचिन पाटिल ने शीर्ष अदालत में यह कहते हुए याचिका दायर की थी कि, राज्य सरकार के विचारों को सुने बिना अर्नब गोस्वामी की याचिका पर कोई आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिए।

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