14 साल के बच्चे ने अपनी छह साल की बहन की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए उठाया यह कदम

वहां तैनात आरपीएफ की एक महिला जवान रेखा मिश्रा की नजर इन दोनों बच्चों पर पड़ी। बच्चा को देख कर ही रेखा जान गयी कि कुछ गड़बड़ है। रेखा ने बच्चों को अपने पास बुलाया और पीने को पानी दिया। फिर प्यार से अमन से पूछा कि, उसे कहां जाना है? इसके बाद अमन से सारा वाकिया रेखा को बता दिया।

14 साल के बच्चे ने अपनी छह साल की बहन की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए उठाया यह कदम
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मां-बाप के बाद भाई-बहन का प्यार ही ऐसा रिश्ता होता है जो परिवार को जोड़ कर रखता है। एक भाई ने अपनी बहन के इसी प्यार में आकर ऐसा काम करने की कोशिश की है जिसे सुन कर हर कोई हैरान है। एक 14 साल के लड़के ने अपने से छोटी बहन (6) की ख्वाहिश को पूरा करने करने के लिए काफी हैरानी भरा काम किया है, हालांकि इस काम में खतरा भी था, लेकिन गनीमत है कि बच्चे सही सलामत हैं।

क्या था मामला?
इस मामले के अनुसार कलवा इलाके में रहने वाला 14 वर्षीय बच्चा अमन (नाम बदला हुआ) अपने मां-बाप और छोटी से बहन के साथ रहता है। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और साथ ही मां और पिताजी दोनों काम करते हैं। पिता चर्चगेट में फलों की बिक्री करते हैं जबकि मां घर का छोटा-मोटा काम करती है। 24 मार्च के दिन पिताजी काम पर निकल गए और मां भी बच्ची को अमन के भरोसे छोड़ कर काम पर चली गयी।

थोड़ी देर में बच्ची रोने लगी और पिताजी के पास जाने की जिद करने लगी। लाख चुप करने के बाद भी जब बच्ची चुप नहीं हुई तो अमन बच्ची को लेकर उसे पिताजी से मिलाने के लिए घर से निकल पड़ा, बगैर यह जाने कि पिताजी के पास कैसे पहुंचना है?

अमन अपनी बहन को लेकर कलवा स्टेशन आया और वहां से सीएसटी जाने वाली ट्रेन में चढ़ गया। चर्चगेट जाने के लिए दादर से ट्रेन बदलना होता है, अमन से किसी से पूछा या उसे इस बात की  जानकारी थी, पता नहीं कैसे  अमन दादर स्टेशन उतर गया। लेकिन दादर स्टेशन की भीड़ में अमन अपनी बहन को लेकर खो गया। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह कहां जाए. उसे चर्चगेट जाने के लिए ट्रेन पकड़ना था लेकिन उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? वह घंटों अपनी बहन का हाथ पकड़ कर यहां से वहां घूमता रहा।

तभी वहां तैनात आरपीएफ की एक महिला जवान रेखा मिश्रा की नजर इन दोनों बच्चों पर पड़ी। बच्चा को देख कर ही रेखा जान गयी कि कुछ गड़बड़ है। रेखा ने बच्चों को अपने पास बुलाया और पीने को पानी दिया। फिर प्यार से अमन से पूछा कि, उसे कहां जाना है? इसके बाद अमन से सारा वाकिया रेखा को बता दिया।

रेखा को अमन के पास से एक मोबाइल फोन भी मिला जिसमें उसके पिताजी का नंबर था। रेखा ने अमन के पिता को फोन कर सारी बात बताई और उन्हें तत्काल दादर स्टेशन आने को कहा। थोड़ी ही देर में वहां अमन के पिता भी पहुंच गए, तो आरपीएफ ने बच्चों को उनके हवाले कर दिया। सुबह से भूखे प्यासे इन बच्चों को पहले तो आरपीएफ वालों ने खाना खिलाया और उसके बाद जब अमन से पूछा गया कि वह अपनी छोटी बहन को इस तरह से घर से लेकर क्यों निकला? तो उस मासूम ने बड़ी ही मासूमियत से कहा कि,' वह अपनी बहन की आंखों में आंसू नहीं देख सकता इसीलिए वह अपने पिताजी से मिलाने के लिए उसे लेकर आया था.'

इतना सुनने के बाद और इन छोटे बच्चों का प्यार देख कर वहां उपस्थित सभी जीआरपी वालों की आखें नम हो गयी और साथ ही राहत की भी साँस ली कि इन बच्चों के साथ कुछ अनहोनी नहीं हुई। सभी ने बड़े प्यार से इन बच्चों को वहां से विदा किया।

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