निर्भया रेप कांडः दरिंदों की फांसी की सजा पर SC की मुहर


निर्भया रेप कांडः दरिंदों की फांसी की सजा पर SC की मुहर
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निर्भया गैंगरेप और मर्डर कांड में फांसी की सजा पाए दोषियों की अपील पर सुप्रीमकोर्ट ने फैसला सुना दिया। सुप्रीमकोर्ट ने भी निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट के फांसी की सजा को बरकरार रखा है। इस मामले में कुल छह दोषी थे जिनमें एक नाबालिग भी था जो अपनी सजा पूरी कर जेल के बाहर है, जबकि राम सिंह नामके एक दोषी ने जेल में फांसी लगा आत्महत्या कर ली थी। और चार दोषी मुकेश, पवन, अक्षय और विनय पर आज कोर्ट का फांसी का फैसला आया है। 


16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में पैरा मेडिकल की छात्रा निर्भया (नाम बदला) सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई थी। दुष्कर्मियों के अमानवीय व्यवहार और चोटों के कारण बाद में उसकी मौत हो गई थी। इस कांड से पूरा देश हिल गया था और बाद में दुष्कर्म से जुड़े कानून में भी बदलाव कर उसे कठोर किया गया ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं का दोहराव न हो।

साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सितंबर 2013 में चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 13 मार्च 2014 को मुहर लगा दी थी। दोषियों ने वकील एमएल शर्मा और एमएम कश्यप के जरिये सुप्रीमकोर्ट में अपील दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने दोषियों की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उनका अपराध दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में आता है।

निर्भया कांड में आए फैसले की चर्चा देश भर में हैं। इस मुद्दे को लेकर मुंबई लाइव ने कुछ युवाओं से पूछा तो उनका क्या कहना है आप खुद ही सुनिए-


निर्भया कांड में आए हुए फैसले से देश के कानून पर लोगों का विश्वास और भी बढ़ गया। कोर्ट के इस फैसले से अब इस तरह की घटनाओं पर रोक लगेगी। सजा देने से अच्छा है कि लोग महिला सम्मान के प्रति जागरूक हों।

- अजिंक्य म्हाडगूत


निर्भया कांड बहुत घिनौना कांड था। आरोपियों को फांसी होनी ही चाहिए। केवल सजा देने से ही काम नहीं चलेगा, लोगों को महिलाओं का आदर करना सीखना चाहिए। नाबालिग की उम्र भी कम होनी चाहिए ताकि ऐसा काम करने से पहले लोग हजार बार सोचे - प्राजक्ता खोत




निर्भया रेप और मर्डर 2012 में हुआ था। आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई। लेकिन इतने दिन बाद सजा मिलना मन को खटकता है - भाग्येश नागवेकर


एक लड़की होने के नाते मुझे इस फैसले पर ख़ुशी है। देर आए दुरुस्त आए। आरोपियों के लिए फांसी की सजा योग्य है। लेकिन इनके लिए फांसी की सजा ही काफी नहीं है, लड़की को जितना तकलीफ सहन करना पड़ा उससे भी अधिक दर्द इन्हें देना चाहिए - तन्वी मुंडले


निर्भया कांड बेहद ही घृणास्पद और न भूलने वाली घटना है। लेकिन घटना के 5 साल बाद सजा मिलना देश की धीमी कानून व्यवस्था का परिणाम है।रेप के दोषियों को के हाथ पैर काट देने चाहिए।अगर ऐसी घटनाये होती रहेंगी तो हम मुंबई में भी सुरक्षित नहीं है - अक्षया झोरे


ऐसे लोगों को फांसी से भी कड़ी सजा मिलनी चाहिए - पूजा भावसार


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