मुंबई में चल रही थीं एक ही फर्जी टीसी नंबर पर 300 बाइक

पुलिस ने बाइक को अपने कब्जे में लेकर महादेव काणेकर को हिरासत में लिया। जब उससे पूछताछ हुई तो उसने सारी सच्चाई बता दी। महादेव काणेकर ने बताया कि उसने जनवरी, 2016 से अब तक 300 स्कूटी मालिकों को एक ही फर्जी टीसी नंबर MH 03 TC 337 अलॉट किए हैं।

मुंबई में चल रही थीं एक ही फर्जी टीसी नंबर पर 300 बाइक
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विक्रोली ट्रैफिक पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है को दुपहिया वाहनों पर फर्जी टीसी नंबर डाल कर उसे बेच देती थी। इस गिरोह द्वारा इस तरह से फर्जी टीसी डाल कर कुल 300 दुपहिया वाहन बेचे जाने की सूचना सामने आई है। मतलब एक ही नंबर से कुल 300 बाइक चल रहीं थीं।

इस तरह से हुआ खुलासा 
घाटकोपर इलाके में 16 फरवरी के दिन ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारी जब ड्यूटी कर रहे थे तो उसी दौरान उन्होंने एक बाइक सवार महिला नो एंट्री में चली गयी। जब पुलिस ने उसे रुकाया और एक खास ऐप के माध्यम से गाड़ी की सारी डिटेल्स निकाली तो सभी चौंक गए। इस बाइक पर लगभग 1.24 लाख रूपये का फाइन बाकी था। फाइन भरने की इतनी बड़ी राशि सुनते ही महिला भी सन्न हो गयी। महिला ने पुलिस को बताया कि उसने अभी एक हफ्ता पहले ही मे. अर्चना मोटर्स नामके शोरूम के मालिक महादेव काणेकर से 68 हजार में यह बाइक खरीदी थी। और उसने अभी तक कहीं भी ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन नहीं किया है। 

इस तरह से चलता था खेल
पुलिस ने बाइक को अपने कब्जे में लेकर महादेव काणेकर को हिरासत में लिया। जब उससे पूछताछ हुई तो उसने सारी सच्चाई बता दी। महादेव काणेकर ने बताया कि उसने जनवरी, 2016 से अब तक 300 स्कूटी मालिकों को एक ही फर्जी टीसी नंबर MH 03 TC 337 अलॉट किए हैं। 

फिर पुलिस को यह समझते देर नहीं लगी कि यह MH 03 TC 337 फर्जी टीसी नंबर जिन लोगों को मिला, उनमें से, जिन्होंने भी ट्रैफिक नियमों को उल्लंघन किया होगा तो इसी नंबर की स्कूटी के नाम से यह जुर्माना बढ़ता गया। महादेव काणेकर से यह भी पता चला कि टीसी नंबर की इस ठगी में मुंबई के दो और डीलर भी शामिल हैं।  

विक्रोली के सहायक पुलिस कमिश्नर विनायक वस्त के अनुसार, टीसी नंबर आरटीओ से ही मिलता है और इसकी फीस व इंश्योरेंस के लिए आरटीओ में पांच से छह हजार रुपये जमा करने पड़ते हैं। गाड़ी के डीलर ग्राहकों से आरटीओ से खुद काम करवाने के एवज में पैसे तो ले लेते है लेकिन वे करवाते नहीं है और और फर्जी टीसी नंबर जारी कर ग्राहक का पैसा अपने पास रख लेते हैं।

आपको बता दें कि गाड़ी खरीदने पर एक टेम्पररी नंबर दिया जाता है जिसे टीसी नंबर कहा जाता है, इसके कुछ दिन बाद वाहन मालिक स्थाई नंबर पाने के लिए एक निर्धारित दिन में आरटीओ जाकर दूसरा नंबर लेता है।

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