अनुसूचित जाति की 10वीं की परीक्षा में 90 प्रतिशत या इससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को 11वीं और 12वीं वर्ष में कुल 2 लाख रुपये का अनुदान। राज्य के सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे (Dhanjay munde) ने बार बाबासाहेब अंबेडकर के नाम पर एक अहम फैसला सुनाया है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए छात्रों के माता-पिता की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम होनी चाहिए।
यह राशि अनुसूचित जाति के गरीब परिवारों के बच्चों के लिए एमएच-सीईटी(MH CET) जेईई(JEE) एनईईटी (NEET) जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की तैयारी के लिए फायदेमंद होगी। धनंजय मुंडे ने छात्रों और अभिभावकों की संघों की मांगों को देखते हुए इस योजना को लागू करने के निर्देश दिए थे। 21 जून को बार्टी के 30वें बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के नाम से शुरू की जा रही इस योजना का लाभ उठाने के लिए विद्यार्थियों के माता-पिता की कुल वार्षिक आय 2.5 लाख के अंदर होनी चाहिए। साथ ही यह योजना उन माता-पिता के बच्चों पर लागू नहीं होगी जो सरकारी सेवा में कार्यरत हैं। आय और जाति का प्रमाण अनिवार्य होगा। खास बात यह है कि इस योजना में लाभार्थियों की संख्या असीमित होगी! यह जानकारी बार्टी के महानिदेशक धम्मज्योति गजभिये ने दी।
असंगठित क्षेत्र, कम वेतन वाले या अनुबंध के आधार पर या निजी क्षेत्र में काम करने वाले गरीब परिवारों के छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए योजना के पारदर्शी कार्यान्वयन के लिए डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (BARTI) जिम्मेदार होगा। सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे ने विश्वास व्यक्त किया है कि हम यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश करेंगे कि इस योजना का लाभ सबसे गरीब परिवारों के योग्य छात्रों तक उनके भविष्य को आकार देने के लिए पहुंचे।
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