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तीसरी भाषा नहीं सीखने पर मराठी बच्चे महाराष्ट्र में पिछड़ जाएंगे- शिक्षा विभाग

शिक्षा विभाग ने यह भी बताया है कि बच्चों को बहुत ही सरल स्तर पर तीसरी भाषा सिखाने से छात्र एक और कौशल हासिल कर सकेंगे

तीसरी भाषा नहीं सीखने पर मराठी बच्चे महाराष्ट्र में पिछड़ जाएंगे-  शिक्षा विभाग
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यदि मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से ही अन्य माध्यम के स्कूलों की तरह तीसरी भाषा (हिंदी) नहीं पढ़ाई जाती है, तो महाराष्ट्र के मराठी बच्चे पिछड़ जाएंगे। शिक्षा विभाग ने यह भी बताया है कि बच्चों को बहुत ही सरल स्तर पर तीसरी भाषा पढ़ाने से छात्र एक और कौशल हासिल कर सकेंगे और इसका उनके बौद्धिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। (Marathi children will lag behind in Maharashtra if fail to learn a third language says Education Department)

अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की मूल्यांकन अवधारणा

भविष्य में पूरे देश में लागू होने वाले अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की मूल्यांकन अवधारणा में निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार, एक छात्र का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाएगा कि उसने कितने विषय या कौशल सीखे हैं और उसके लिए उसने कितना समय दिया है। इससे छात्र को उस शिक्षा के लिए अंक मिल सकेंगे। इसलिए, मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों के छात्रों को कक्षा 1 से 5 तक के किसी विषय के लिए पूरे क्रेडिट अंक नहीं मिलेंगे क्योंकि वे तीसरी भाषा नहीं सीखते हैं।

कौशल सीखने का मौका

नतीजतन, शिक्षा विभाग ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जानकारी दी है कि 'अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट' की अवधारणा के कारण, महाराष्ट्र में मराठी बच्चे अन्य माध्यमों के छात्रों से पिछड़ जाएंगे।अन्य माध्यम के स्कूलों में मराठी भाषा को पहली कक्षा से ही बहुत सरल स्तर पर पढ़ाया जाता है, जबकि मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में बच्चों को पहली कक्षा से ही एक तीसरी भाषा पढ़ाई जाती है, जिससे उन्हें एक और कौशल सीखने का मौका मिलता है। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि इससे उनके बौद्धिक विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

चूंकि हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसका इस्तेमाल महाराष्ट्र में दैनिक जीवन में किया जाता है, इसलिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि महाराष्ट्र के बच्चे शैक्षणिक रूप से इस भाषा से प्रभावित न हों। यह भी स्पष्ट किया गया है कि हिंदी के अलावा कोई अन्य भाषा चुनने वाले अभिभावकों को शिक्षकों के माध्यम से उचित मार्गदर्शन दिया जाएगा। शिक्षा विभाग आयुक्त बच्चे के परिवेश के आधार पर सबसे उपयुक्त भाषा चुनने और सिखाने में मदद करने के लिए उपयुक्त व्यवस्था करेंगे।

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