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स्कूल में बच्चे के दाखिलें के पहले सुरक्षा से जुड़ी इन बातों की करलें जांच


स्कूल में बच्चे के दाखिलें के पहले सुरक्षा से जुड़ी इन बातों की करलें जांच
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गुरुग्राम में प्रद्युमन नाम के छात्र की हत्या के बाद अब देशभर के स्कूलों के सामने छात्रों की सुरक्षा का सवाल एक बार फिर से खड़ा हो गया है। इस घटना के बाद जहां एक ओर स्कूलों ने अपने निजी सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ा दी है तो वही दूसरी ओर पुलिस भी अब नये सिरे से स्कूलों के लिए नियमावली बनाने जा रही है। लेकिन इन सबके बाद भी अगर इस बारे में सबसे ज्यादा कोई परेशान है तो वह है बच्चों के परिजन।

बच्चो के परिजनों ने पिछले कई सालों में कई स्कूलों में सुरक्षा में हो रही कमी का मुद्दा उठाया है, लेकिन सरकारें हमेशा से इस दिशा में उदासीन रहीं है। परिजनों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के पहले सुरक्षा से जुड़ी कुछ बातों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहीए।


सीसीटीवी-
स्कूल में दाखिले के समय परिजनों को इस बात की पूरी पड़ताल कर लेनी चाहिए की स्कूल में सीसीटीवी लगा है या नही। पुलिस की गाइडलाइंस के अनुसार स्कूलों में सीसीटीवी लगा होना चाहिए।

सुरक्षा रक्षक
स्कूल में सुरक्षा रक्षको का होना भी अनिवार्य है। स्कूल के मेन गेट के साथ साथ स्कूल बस में भी सुरक्षा रक्षक होना चाहीए।

हेल्पलाईन नंबर
स्कूल में अगर किसी भी प्रकार की कोई अप्रिय घटना घट जाए तो एंबूलेंस बुलाने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर होना चाहिए। साथ ही स्कूल में नजदीकी पुलिस स्टेशन का नंबर होना भी आवश्यक होता है।

गुड टच - बैड टच की हो जानकारी
छात्रों को इस बात की जानकारी देना भी आवश्यक होता है की गुड टच और बैड टच क्या है। कई स्कूलों ने पिछलें कुछ समय से इस तरह की जानकारी बच्चों को देनी शुरु कर दी है। साथ ही मुंबई पुलिस की भी ओर से इस तरह के कई जागरुक कार्यक्रम चलाए जाते है।

स्कूल बस में सुरक्षा
स्कूल बस में सुरक्षा हमेशा से ही स्कूल और परिजनों के लिए एक अहम सवाल बना रहा है। अपने बच्चे के दाखिले के पहले इस बात को निश्चित करले की स्कूल बस में सही सुरक्षा व्यवस्था हो। बस ड्राइवर और सहयोगी स्टाफ का पुलिस वेरिफेकन हुआ है या नही, बस चालक और सहयोगी स्टाफ का रिकॉर्ड कैसा है, स्कूल बस में छात्राओं के लिए कोई महिला सुरक्षा रक्षक है या नहीं, इन सभी बातों की पुष्टी कर लेनी चाहिए।

बच्चों को भी दे जानकारी
कई बार हम बच्चों को अत्यावश्यक हालात में क्या करना चाहिए इसकी जानकारी नहीं देते। बच्चो को भी इस बात की जानकारी होनी चाहिए की अगर वह किसी बुरी स्थिती में फंस गए है तो उन्हे क्या करना चाहीए।


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