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'अंधेरी के जिस बड़े कॉलेज में मैंने एडमिशन लिया था वह फर्जी निकला'

श्याम को आकर्षक वेतन देने के नाम पर प्लेसमेंट जॉब देने से लेकर पर्सनालिटी डेवलपमेंट तक के सारे ऑफर दिए गये। इसके बाद श्याम ने कॉलेज जाकर 35 हजार रुपए देकर अपना एमिशन करवा लिया। श्याम ने इस बार की जानकारी अपने परिजनों को और मित्रों को दी तो सभी ने श्याम को बधाई दी। लेकिन कुछ ही देर में श्याम के एक मित्र ने बताया कि श्याम ने जिस कॉलेज में एडमिशन लिया है दरअसल वह फर्जी है।

'अंधेरी के जिस बड़े कॉलेज में मैंने एडमिशन लिया था वह फर्जी निकला'
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'ऊपर वाला दुआ कबुल करता है..मैं सिर्फ पैसे लेता हूं' हालिया रिलीज फिल्म 'वाय चीट इंडिया' का यह डायलॉग देश की मौजूदा शिक्षा प्रणाली में फैले फर्जीवाड़े पर बिलकुल सटीक बैठता है। इस फर्जीवाड़े के जीते जागते नए-नए भुक्तभोगी बने हैं हैं श्याम परिक। वैसे तो भारत भर में कई फर्जी यूनिवर्सिटी चल रही है जिसमें लाखों बच्चे ठगे जाते हैं लेकिन यह मामला थोडा अलग है, क्योंकि यहां बात उस दंभ की भी जो सरकार सहित शिक्षा प्रणाली को ठेंगा दिखा कर सरपट दौड़ रही है।

कुछ अच्छा पढ़ लिख कर घर की आर्थिक स्थिति में हाथ बंटा सके इस उद्देश्य से 35 वर्षीय श्याम पारिक ने एमबीए कोर्स करने के लिए अंधेरी के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इवेंट मैनेजमेंट (NIEM) में दाखिल लिया था। एक ऐड एजेंसी में काम करने वाले श्याम ने सोचा था कि वे इस पढाई का खर्चा खुद ही निकालेंगे, इसके लिए अपने घर वालों को परेशान नहीं करेंगे। जिस दिन उन्होंने कॉलेज में एडमिशन लिया काफी खुश होकर अपने परिजनों को यह बात बताई। लेकिन थोड़ी ही देर ही उनकी ख़ुशी उस समय छू-मंतर हो गयी जब उन्हें यह पता चला कि जिस कॉलेज में उन्होंने एडमिशन लिया दरअसल वह फर्जी है।

क्या है पूरा मामला?
श्याम परिक ने MBA करने के लिए पिछले साल अंधेरी स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इवेंट मैनेजमेंट (NIEM) कॉलेज में एडमिशन लिया था। इस कालेज की जानकारी श्याम को विज्ञापन के जरिये मिली थी। विज्ञापन में दिए गये नंबर पर श्याम ने फोन कर कई सारी जानकारी हासिल की, उन्हें बताया गया कि यह कॉलेज राजस्थान के सिंहानिया यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध है जो कि राजस्थान के बहुत बड़े यूनिवर्सिटी में से एक है।


कॉलेज निकला फर्जी 
यही नहीं श्याम को आकर्षक वेतन देने के नाम पर प्लेसमेंट जॉब देने से लेकर पर्सनालिटी डेवलपमेंट तक के सारे ऑफर दिए गये। इसके बाद श्याम ने कॉलेज जाकर 35 हजार रुपए देकर अपना एमिशन करवा लिया। श्याम ने इस बार की जानकारी अपने परिजनों को और मित्रों को दी तो सभी ने श्याम को बधाई दी। लेकिन कुछ ही देर में श्याम के एक मित्र ने बताया कि श्याम ने जिस कॉलेज में एडमिशन लिया है दरअसल वह फर्जी है। इस तरह के कोई कॉलेज का नाम यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन) की लिस्ट में है ही नहीं। एकबारगी श्याम को तो विश्वास नहीं हुआ, लेकिन जब श्याम ने खुद यूजीसी की वेबसाईट पर जाकर सर्च किया और सारी जानकारी ली तो उनकी आशंका यकीन में बदल गयी।

दायर की याचिका 
अगले ही दिन श्याम ने कॉलेज जाकर वहां सारी बात बताई और अपने पैसों की मांग की। लेकिन वहां मौजूद व्यक्ति ने पैसे देने से मना कर दिया और उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने की बात कही। लेकिन श्याम नही माने, उन्होंने कॉलेज के हेड होशी भिवंडीवाला से बात की और पूरी बात बताई, तो होशी ने बड़ी ही बेरुखी से उत्तर देते हुए कहा कि, 'हमें यूजीसी से कोई मतलब नहीं है। हमें तो मतलब है सिंघानिया यूनिवर्सिटी से। हमने यूजीसी से कोई अथॉरिटी नहीं ले रखी है।'  यही नहीं जब श्याम ने अपने पैसों की मांग की तो भिवंडीवाला ने उल्टे श्याम पर ही कार्रवाई करने की धमकी दी। श्याम उल्टे पांव अपने घर आ गये। इसके बाद उन्होंने अपने परिवार को सारी बात बताई और कॉलेज के खिलाफ कोर्ट ने याचिका दाखिल कर दी। यही नहीं श्याम ने इस कॉलेज के खिलाफ महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े सहित अन्य संबंधित विभागों को भी लेटर लिखा है।

मुंबई लाइव से बात करते हुए श्याम कहते हैं कि मेरे जैसे सैकड़ों छात्र इस कॉलेज में पढ़ते हैं, अकसर एडमिशन लेते समय बच्चे कॉलेज के बारे में कुछ जानकारी पता नहीं करते। लेकिन अब और लोग भी इस फर्जी कॉलेज में अपने पैसे न गवाएं इसीलिए बॉम्बे हाईकोर्ट में कॉलेज के खिलाफ मैंने याचिका दायर कर दी।  

'तो अवैध होंगे सर्टिफिकेट' 
श्याम बताते हैं कि यूजीसी के नियम के मुताबिक किसी भी प्राइवेट युनिवर्सिटी के पास ऑफ़ कैम्पस डिग्री या सर्टिफिकेट देने का कोई अधिकारी नहीं है। अगर वह ऐसा करता है तो वह डिग्री या सर्टिफिकेट अवैध मानी जाएगी। यूनिवर्सिटी या कॉलेज को केवल अपने ही कॉलेज में डिग्री या सर्टिफिकेट देने का अधिकार है।


'कई सारे कोर्स भी अवैध'
वे आगे कहते हैं कि इवेंट मैनेजमेंट, ऐडवरटाइजिंग एंड मीडिया, बीबीए, एमबीए सहित कई सारे ऐसे कोर्स हैं जिन्हें ऑफ कैम्पस मान्यता प्राप्त नहीं होते, बावजूद इसके इन सभी कोर्सों को लेटेस्ट और जॉब ओरियंटेड कोर्स बता उज्ज्वल भविष्य का सपना दिखा कर कई सारे कॉलेज धडल्ले से इन कोर्स को संचालित करते हैं और छात्रों को डिग्री के नाम पर मात्र कागज का टुकड़ा थमा देते है। और फिर जैसा की होता आया है। छात्र जॉब के नाम पर केवल अपने जुते चप्पल घिसता रहता है।

बकौल श्याम कुछ दिन बाद ही कोर्ट में पहली सुनवाई होगी, इसके लिए उन्होंने सारी तैयारियां कर ली हैं।  

कौन है जिम्मेदार?
आपको बता दें कि देश में उच्च शिक्षा देने वाली यूनिवर्सिटी को मान्यता देने वाली यूजीसी ने अभी हाल ही में देश भर के फर्जी यूनिवर्सिटी की लिस्ट जारी की थी। यही नहीं इस मामले में यूजीसी आये दिन फर्जी यूनिवर्सिटी ली लिस्ट जारी कर उन लाखों करोड़ों छात्रों को चेताती है कि वे डिग्री के नाम पर अपने हाथ में केवल कागज का टुकड़ा लेकर नौकरी मांगने न जाएं। यूजीसी द्वारा हालिया जारी की गयी लिस्ट में मुंबई के अंधेरी स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इवेंट मैनेजमेंट (NIEM) कॉलेज का भी नाम है, बावजूद इसके कॉलेज अभी भी खुलेआम चल रहा है और उसमें पढने वाले बच्चों के भविष्य का भगवान ही मालिक है।

हालांकि इस मामले में मुंबई लाइव ने ओशी भिवंडीवाला का भी पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन वे उपलब्ध नहीं हो सके। उनकी तरफ से जो भी बात आएगी मुंबई लाइव उसे भी प्रकाशित करेगा, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि देश में बढ़ते फर्जी यूनिवर्सिटी के मकड़जाल में शिक्षा प्रणाली ही नहीं बल्कि सिस्टम तक भी उलझा हुआ हुआ।

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