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MU के अंशकालिक कर्मचारी हुए आक्रामक, अतिरिक्त काम नहीं करने का लिए निर्णय


MU के अंशकालिक कर्मचारी हुए आक्रामक, अतिरिक्त काम नहीं करने का लिए निर्णय
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मुंबई यूनिवर्सिटी में नियुक्त किये गए अंशकालिक कर्मचारियों के पक्ष में कोर्ट द्वारा निर्णय देने के बाद भी यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाये जाने पर अब कर्मचारी आक्रामक हो गए हैं। सोमवार को उन्होंने अपने काम के अलावा और कोई अन्य काम नहीं करने का निर्णय लिया।


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समान काम, समान वेतन मांग 
आपको बता दें कि मुंबई यूनिवर्सिटी में बड़े पैमाने पर अंशकालिक कर्मचारियों की नियुक्ति की गयी है। कर्मचारियों का आरोप था कि उन्हें उनके काम के अलावा अन्य काम भी करवाए जाते हैं, इसके खिलाफ उन्होंने 'सामान काम, सामान वेतन' नियम लागू करने की मांग की। यही नहीं मुंबई यूनिवर्सिटी के कर्मचारी संगठन ने अपने हक के लिए औद्योगिक कोर्ट में याचिका भी दाखिल की। इस याचिका की सुनवाई में कोर्ट ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला सुनाया, बावजूद इसके MU प्रशासन ने कर्मचारियों के लिए कुछ नहीं किया। प्रशासन के इस रवैये के खिलाफ कलीना कैंपस में कर्मचारियों ने सोमवार को मोर्चा निकाला और अपने काम के अतिरिक्त अन्य कोई काम नहीं करने का निर्णय लिया। 


 अगर MU प्रशासन ने हमारी बात नहीं मानी तो आने वाले समय में और भी तेज आंदोलन होगा।
 - मिलिंद तुलसकर, अध्यक्ष कर्मचारी संगठन 


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कर्मचारियों के साथ भेदभाव 

दरअसल MU में काम करने वाले इन अंशकालिक जूनियर कर्मचारियों को हर घंटे के मात्र 13 रूपये तो सीनियर कर्मचारियों को 18 घंटे अतिरिक्त भत्ता दिया जाता है, जबकि नियमानुसार इन्हे 40 से 50 रूपये मिलने चाहिए। इन कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया जाता है। 2008 से ही यह कर्मचारी भत्ते में वृद्धि की मांग कर रहे हैं लेकिन आज तक उनकी बात नहीं सुनी गयी, लिहाजा उन्होंने आंदोलन का कदम उठाया।
 - सुप्रिया करंडे, सिनेट सदस्य

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