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मैकेनिक से लेकर 'गुलजार' बनने तक की कहानी!


मैकेनिक से लेकर 'गुलजार' बनने तक की कहानी!
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“मैं रोजगार के सिलसिले में, कभी कभी उसके शहर जाता हूं। तो गुजरता हूं उस गली से, वो नीम तारिक सी गली, और उसी के नुक्कड़ पे ऊंघता सा पुराना खंभा। उसी के नीचे तमाम शब्द, इंतजार करके, मैं छोड़ आया था शहर उसका। बहुत ही खस्ता सी रोशनी की छड़ी को टेके, वो खंभा अब भी वहीं खड़ा है।“

यह पंक्तियां है मशहूर शायर, कवि, संगीतकार और एक फिल्मकार संपूरण सिंह कालरा की हैं। जिसे पूरी दुनियां गुलजार के नाम से जानती है। गुलजार साहब का आज जन्मदिवस है। उनका जन्म 18 अगस्त 1934 को दीना झेलम जिले के एक गांव में हुआ था जो वर्तमान में पाकिस्तान में आता है।  


गराज से लेकर गुलजार तक

गुलजार रोजी रोटी के लिए शुरुआती दिनों में गराज में मैकेनिक का काम किया करते थे। पर पढ़ने लिखने की ललक ने उन्हें आज एक महान शख्सियत बना दिया है। गुलजार के हुनर को पहचाना था महान फिल्म मेकर विमल रॉय ने। गुलजार को पढ़ने लिखने का बहुत ज्यादा शौख था उन्होंने कई राइटर्स के बारे में भी पढ़ा इसके चलते कुछ राइटर्स और कलाकारों से उनकी दोस्ती हुई। इनमें से ही एक दोस्त ने गुलजार को विमल रॉय से मिलवाया था। इत्तेफाक की बात यह थी कि उसी दौरान म्यूजिक डायरेक्टर एस डी बर्मन और गीतकार शैलेंद्र के बीच झगड़ा हो चुका था, इस सबके चलते फिल्म मेकर विमल रॉय बहुत ज्यादा परेशान हो गए थे। जो फिल्म वे कर रहे थे उसका नाम था बंदनी था। ऐसे में गुलजार को एस डी बर्मन की धुनों पर गाना लिखने का मौका मिला।


पहला गाना

इस तरह से उन्होंने अपना पहला गाना लिखा जो था ‘मोरा गोरा अंग लईले’ यह गाना लोगों के बीच काफी पसंद किया गया था, और यहीं से गुलजार की सफलता का सफर शुरु हो गया था। विमल के साथ काम करते हुए गुलजार की दोस्ती आर डी बर्मन और ऋषिकेश मुखर्जी से हुई। ऋषिकेश उस समय बातोर एडिटर काम किया करते थे बाद में फिल्म डायरेक्टर बन गए। ऋषिकेश ने गुलजार से सिर्फ गाने ही नहीं लिखवाए बल्कि डॉयलॉग भी लिखवाए। फिल्म आनंद और नमक हराम के लिए गुलजार ने ही डॉयलॉग लिखे थे जो आज भी लोगों की जबान पर जिंदा हैं।


ब्लैक एंड व्हाइट से लेकर कलर तक

गुलजार की खाशियत रही है कि उन्होंने हर पीढ़ी से नाता जोड़ा है। उन्होंने मोगली वाला गाना ‘जंगल जंगल बात चली है, पता चला है, चड्ढी पहन के फूल खिला है’ लिखा तो वहीं उन्होंने मिर्जा गालिब के ऊपर बनाए गए टीवी सीरियल को भी लिखा।

एस डी बर्मन, सलिल चौधरी, आर डी बर्मन, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल और बदलते वक्त के साथ ए आर रहमान, विशाल भारद्वाज, शंकर एहसान लॉय जैसे म्यूजिक डायरेक्टर के साथ गीतकार गुलजार ने काम किया है। गुलजार ने खुद कहा था कि, विशाल ने मेरे गानों को जवान रहने में बहुत मदद की है।

गुलजार ने गाना, डायलॉग लिखने के अलावा फिल्में भी डायरेक्ट कीं। उन्होंने परिचय, आंधी और किनारा जैसी फिल्में बनाई।

बॉलीवुड में ऐसी बहुत की कम हस्तियां हैं जिन्होंने ब्लैक एंड व्हाइट से लेकर कलर तक अपना दबदबा बनाए रखा है। उनमें से गुलजार एक हैं।  

कहना गलत नहीं होगा कि गुलजार की लेखनी ने छोटे पर्दे से लेकर बड़े पर्दे तक में सभी का दिल जीता है। बॉलीवुड में हमेशा ही उनका नाम गर्व से लिया जाएगा।

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