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इस शख्स ने न की होती मदद, तो इतनी जल्दी श्रीदेवी का शव दुबई से मुंबई नहीं आ पाता

अशरफ ने ही शव गृह में जाकर वहां के अधिकारियों से बात की और उन्हें सभी जरुरी दस्तावेज सौंपे।इसके बाद ही श्रीदेवी के शव को भारत लाना संभव हो सका।

 इस शख्स ने न की होती मदद, तो इतनी जल्दी श्रीदेवी का शव दुबई से मुंबई नहीं आ पाता
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श्रीदेवी अब पंचतत्व में विलीन हो चुकी हैं, उनके पति बोनी कपूर ने उन्हें मुखाग्नि दी। जैसा की सभी लोग जानते हैं कि उनकी मौत दुबई में हुई और उनका शव भारत लेन में कुल 72 घंटे लग गए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सारी कानूनी कागजी कारवाई को पूरा करवाने के लिए एक भारतीय शख्स ने कपूर परिवार की काफी मदद की। इस शख्स का नाम है अशरफ शेरी थामारासरी, जो कि मुल रूप से केरल के रहने वाले हैं और दुबई में ही रहते हैं।


अशरफ ने की सभी क़ानूनी कार्रवाई पूरी

नेटवर्क 18 में छपी खबर के अनुसार अशरफ ने ही शव गृह में जाकर वहां के अधिकारियों से बात की और उन्हें सभी जरुरी दस्तावेज सौंपे।इसके बाद ही श्रीदेवी के शव को भारत लाना संभव हो सका। यही नहीं मंगलवार की रात श्रीदेवी के शव के साथ-साथ अशरफ ने 5 अन्य देशों के शवों को भी उनके देश वापस भेजने में सहायता की थी। अशरफ के मुताबिक चाहे दुबई हो या फिर कोई भी अन्य अरब देश, चाहे गरीब हो या अमीर, उनके लिए सभी समान हैं।

अब तक अनेक देशों में भेज चुके हैं कई शव

खबर के अनुसार अशरफ केवल भारतियों की ही मदद नहीं करते वरन वे अन्य देशों में रहने वालों की भी मदद करते हैं और वह भी बिलकुल नि:शुल्क। जानकारी के मुताबिक अशरफ ने अब तक कुल 4,700 शवों को विश्व के 38 देशों तक भेजने में मदद की है। यही नहीं शवों ले अलावा अशरफ उन लोगों को भी उनके देश भेजते हैं कर्ज के तले डूबे मजदूर होते हैं।

करते हैं सभी की मदद 

दुबई में रहने वाले 44 वर्षीय अशरफ शेरी थामारासरी उनकी मदद करते हैं जिनका कोई अपना दुबई में गुजर जाता है और जिन्हे कोई भी क़ानूनी प्रक्रिया की जानकारी नहीं होती है। तो ऐसे में अशरफ सभी कनूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने में और मरने वाले लोगों को स्वदेश भेजने में उनकी सहायता करते हैं।

बस दुआ में याद रखना 

अशरफ इसे लोगों के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी मानते हैं और कहते हैं कि वह यह सब दुआ हासिल करने के लिए करते हैं। साथ ही कई लोगों की वे इसलिए भी करते हैं कि क्योंकि उन्हें यह नहीं पता होता है कि किसी की मौत पर उसे उनके स्वदेश कैसे लाया जाए। 

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