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मुंबई में खुलेगा ममी का 'रहस्य'


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कालाघोडा - टॉरमेक काल के 2300-2400 साल पुराने ममी का दीदार मुंबईकरों के साथ देशी-विदेशी पर्यटकों को भी होने वाला है। मुंबई में कालाघोडा के छत्रपति शिवाजी म्युजियम में इन ममीज को देखने को मिलेगा। प्राचीन मिस्र के लोगों का पुनजर्न्म में विश्वास था और वे मानते थे कि मृत व्यक्ति के शरीर को संभालकर रखा जाना चाहिए, ताकि अगले जन्म में वो उस शरीर को पा सकें। इसी सोच की वजह से प्राचीनकाल से लोगों ने ममी बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इसके लिए मृतक के शरीर के आकार से मिलते-जुलते लकड़ी के ताबूत तैयार किए जाते थे। इन ताबूतों को रंगकर मृत व्यक्ति या पशु के चेहरे सहित उसका रूप दिया जाता था। उसमें तमाम जीवन उपयोगी वस्तुओं को रखा जाता था। साथ ही कुछ देवी देवताओं की मूर्तियां भी रखी जाती थी। इसके बाद धर्मगुरु के मतानुसार इस पर धार्मिक वाक्य आदि लिखे जाते थे और एक धार्मिक समारोह करके ताबूत को शरीर समेत चबूतरे पर सम्मान के साथ रख दिया जाता था। इस प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों को ममी तक पहुंचाया जाएगा। ममी की प्रदर्शनी के लिए आर्थिक मदद की भी जरूररत है क्योंकि ममी को संभालने में खर्चा अधिक आता है।

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