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विदेश में खुला था पंकज उधास की बंद किस्मत का ताला

गजलों के किंग पंकज उधास आज अपना 68वां जन्मदिवस मना रहे हैं। 'चिट्ठी आयी है' ने बनाया था रातोंरात स्टार।

विदेश में खुला था पंकज उधास की बंद किस्मत का ताला
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गजलों के किंग कहे जाने वाले पंकज उधास आज अपना 68वां जन्मदिवस मना रहे हैं। गुजरात स्थित जेतपुर में जन्में पंकज का बचपन से ही गायिकी की ओर रुझान था। उनके बड़े भाई मनहर उधास भी एक गायक थे, पंकज मनहर से  गायिकी के लिए काफी प्रेरित हुए।

पंकज बॉलीवुड सिंगर बनने का सपना लेकर 70 के दशक में मुंबई पहुंचे थे। 4 साल तक उन्होंने जमकर स्ट्रगल किया पर उन्हें कहीं से भी काम नहीं मिल रहा था। उस समय एसडी बर्मन, नौशाद और मदन मोहन जैसे बड़े म्यूजिक डायरेक्टर का बोलबाला था। साथ ही म्यूजिक कंपनी भी एक ही हुआ करती थी। पंकज को लग गया था कि यहां पर इतने बड़े बड़े सिगर्स को टक्कर देना बड़ा मुश्किल है। आखिरकार थक हारकर निराश मन से पंकज ने अमेरिका का रुख कर लिया। 

पंकज ने अमेरिका में कुछ शोज किए, इन शोज को अच्छी खासी लोकप्रियता मिली। यहां से पंकज की किस्मत के बंद दरवाजे खुलना शुरु हो गए।  विदेश में  पंकज की बढ़ती लोकप्रियता को देख उस समय के जाने माने बॉलीवुड प्रोड्यूसर राजेंद्र कुमार ने उन्हें भारत आकर फिल्मों में गाने का ऑफर दिया। पर राजेंद्र की डिमांड थी कि पंकज फिल्म में स्पेशल अपीयरेंस दें, पर यब बात पंकज को ना भाई। हालांकि बाद में पंकज के भाई बीच में आए और मामला सुधरा, और यहां से पंकज का गजलों के किंग का सफर शुरु हो गया। उन्होंने फिल्म नाम में गेस्ट अपीयरेंस दिया और ‘चिट्ठी आयी है’ गाना गाया। यह गाना इतिहास बन गया।

आज पंकज के नाम 500 से भी अधिक गजलें हैं। उनमें ‘चिट्ठी आयी है’, ‘चांदी जैसा रंग है तेरा’, ‘थोड़ी थोड़ी पिया करो’ और ‘एक तरफ उसका घर’ काफी पॉपुलर हैं।


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