रेलवे ने पर्यावरण को बढ़ावा देने, प्लास्टिक के उपयोग को रोकने के लिए एक सराहनीय कदम उठाया है। रेलवे ने निर्णय लिया है कि वह यात्रियों के स्वास्थ्य को लेकर स्टेशन की खानपान यूनिटों पर कागज या सिंथेटिक बाउल के बजाय पत्तों से बने दोने का उपयोग शुरू करेगी, कहीं-कहीं तो रेलवे ने दोने का प्रयोग शुरु भी कर दिया है।
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मध्य प्रदेश के कुछ रेलवे स्टेशनों पर स्टेशन की खानपान यूनिटों पर कागज या सिंथेटिक बाउल के बजाय पत्तों से बने दोने का उपयोग शुरू किया गया है। स्टेशनों के स्टॉल, ट्रॉली या अन्य यूनिट पर अब खाद्य सामग्रियां पत्तों से बने दोने में दी जाएगी। रेलवे का यह प्रयोग अब यात्रियों को अच्छा भी लग रहा है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो रेलवे देश भर में इस इको फ्रेंडली प्लेट को लागू कर सकता है।
#plasticpollution को समाप्त करने के लिए रतलाम मंडल के स्टेशनों पर पत्तों के दोनों में खाद्य सामग्री बेचना शुरू किया गया है। इस से प्लास्टिक और कागज़ के उपयोग में कमी आएगी और दोना-पत्तल से जुड़े लोगों को रोजगार में वृद्धि होगी। #SwachhBharat #PlasticWasteFree pic.twitter.com/cfdBwD0kNr
— Western Railway (@WesternRly) September 23, 2019
रेलवे के इस निर्णय से लोगों को रोजगार तो मिलेगा ही साथ ही कागज व पॉलीथिन का उपयोग नहीं होने से पर्यावरण सुरक्षा के साथ यात्रियों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर नहीं पड़ेगा।
आपको बता दें कि भारत सरकार ने प्लास्टिक पर पूरी तरह से बैन लगाने का निर्णय लिया है। मुंबई में पहले से ही प्लास्टिक बैन है लेकिन अभी भी कई इलाकों में दुकानदार और ग्राहक प्लास्टिक यूज कर रहे हैं, साथ ही अभी हाल ही में चर्चगेट से लेकर विरार तक 16 हजार किलो तक कचरा साफ़ किया गया, इस कचरे में अधिकांश प्लास्टिक का ही कचरा था। यही नहीं मानसून महीने में जब-जब हाईटाइड आती है तब तब किनारों पर हजारों किलों प्लास्टिक का कचरा किनारों पर आ जाते हैं।प्लास्टिक से होने वाली हानियां किसे नहीं पता है, अगर प्लास्टिक बैन हो जाता है तो यह न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी अच्छा होगा।
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