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अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस - भारत के राष्ट्रीय पशु को मिल रहा लोगों का साथ!


अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस - भारत के राष्ट्रीय पशु को मिल रहा लोगों का साथ!
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हमारे राष्ट्रीय पशु संरक्षण के लिए 29 जुलाई को एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस के रुप में मनाया जाता है। बाघ संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व बाघ दिवस यानी 'अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस' मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर शिखर सम्मेलन में किया गया था। इसका मकसद बाघों के प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा और बाघ संरक्षण के मुद्दों पर लोगों को जागरुक करना है।

भारत का राष्ट्रीय पशु
बाघ को भारत का राष्ट्रीय पशु भी काहा जाता है। बाघ देश की शक्ति, , शान, सतर्कता, बुद्धि और धीरज का प्रतीक है। टाइगर भारतीय उपमहाद्वीप का प्रतीक है और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र को छोड़कर पूरे देश में पाया जाता है।

यह शुष्क खुले जंगल, नम-सदाबहार वन से लेकर मैंग्रोव दलदलों तक इसका क्षेत्र फैला हुआ है। लेकिन राष्ट्रीय पशु बाघ को आईयूसीएन ने लुप्त होती प्रजाती की लिस्ट में रखा हुआ है। वनों में शिकार और जरुरी संसाधनो में की कमी के कारण देश में बाघों की संख्या में गंभीर गिरावट आई है।

रॉयल बंगाल टाइगर को राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने के बाद 1972 में भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का लागू किया गया। इस वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत सरकारी एजेंसियां बंगाल बाघों के संरक्षण के लिए कोई भी सख्त कदम उठा सकती है।

भारत में रॉयल बंगाल टाइगर्स की व्यवहार्यता को बनाए रखने और उनकी संख्या में वृद्धि करने के उद्देश्य से 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया गया था। मौजूदा समय में भारत में 48 बाघ उद्यान है। जिनमें से कई जीआईएस प्रणाली का इस्तेमाल कर बाघों की संख्या में वृद्धि करने में सफल रहे हैं। इन उद्यानो में बाघों के शिकार को लेकर काफी सख्त नियम बनाये गए है। साथ ही इसके लिए एक समर्पित टास्क फोर्स की भी स्थापना की गई है। रणथंबोर राष्ट्रीय उद्यान इसका एक शानदार उदाहरण है।

संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान, मुंबई
2003 में इस संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में बंगाल टाइगर के पैरो के निशान देखे गए। हालांकी यहां पर बाघ वास्तव में कभी देखआ नही गया , लेकिन शहर में इसे लेकर काफी उत्सुकता दिखी। इस क्षेत्र में 80 साल पहले आखिरी शेर का शिकार किया गया था। राज्य सरकार ने भी बाघो के संरक्षण के लिए कई कदम उठाए है।

मुंबई के आसपास के स्थान

ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व, महाराष्ट्र का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है। चंद्रपुर जिले में स्थित यह टाइगर रिजर्व मुंबई से लगभग 845 किमी दूर है।

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