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मेट्रो-3 कारशेड के निर्माण वाली जगह किसकी...?


मेट्रो-3 कारशेड के निर्माण वाली जगह किसकी...?
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मुंबई – आरे में चल रहे मेट्रो-3 के निर्माणाधीन कारशेड को लेकर एक बार फिर से झटका लग सकता है। इस कारशेड का आरे निवासी और पर्यावरणविद कई महीनों से विरोध कर रहे हैं। वनशक्ति संघटना के द्वारा मांगी गयी जन सूचना अधिकार के तहत मिली जानकारी से खुलासा हुआ है कि सरकार जिस जगह कारशेड का निर्माण कर रही है वो जमीन वन विभाग की है और जहां कारशेड का निर्माण हो रहा है वह संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के लिए आरक्षित है। इससे जुड़े सारे कागजात वन विभाग के पास मौजूद हैं।
अब सवाल यह उठता है कि बिना वन विभाग की मंजूरी के सरकार यहां कारशेड का निर्माण कैसे कर सकती है। जानकारी के अनुसार इस कारशेड को बनाने का परमीशन आरे दुग्ध डेवलपमेंट की तरफ से दिया गया है। अब संघटना ने इस जमीन पर कारशेड के निर्माण की मंजूरी को लेकर डेयरी विकास बोर्ड की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया है। अब इस बाबत सरकार के ही दो विभाग आमने सामने आ गये हैं।
वनशक्ति परियोजना के निदेशक स्टॅलिन दयानंद ने बताया कि करीब 276.0730 हेक्टेयर में फैला आरे राजस्व विभाग के अंतर्गत आता है। राजस्व विभाग की तरफ से 1954 में आरे में दुग्ध योजना को मंजूरी दी गयी थी। लेकिन राजस्व विभाग ने वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए 1969 में यह जमीन वन विभाग को दे दिया था।
वन विभाग ने इस जमीन के कुछ भाग पर नेशनल पार्क का निर्माण किया। स्टालिन ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि इस जमीन की मालकियत वनविभाग के पास है लेकिन वन के रूप में इसे घोषित नहीं किया गया था। 1980 में वन विभाग ने 2 हजार हेक्टेयर जमीन में से 575 हेक्टेयर जमीन को छोड़कर बाकी बचे लगभग 1500 हेक्टेयर जमीन को वनविभाग की जमीन के रूप में घोषित कर दिया था, लेकिन उससे संबंधित कोई भी रिकॉर्ड सरकार या वनविभाग के पास उपलब्ध नहीं है।
संघटना ने आरे दुग्ध डेयरी डेवलपमेंट को उक्त जमीन पर अपनी स्वामित्व साबित करने की चुनौती दी है। इस बात पर संघटना के स्टालिन ने सवाल उठाते हुए कहा कि स्वामित्व न होते हुए भी आरे डेयरी किसी को भी निर्माण करने की मंजूरी कैसे दे सकता है? अब वनशक्ति संघटना कोर्ट के सहारे आरे डेयरी सहित एमएमआरसी और वनविभाग को घेरने की तैयारी में लग गया है।

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