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बाप्पा का हुआ आगमन लेकिन कोरोना के कारण त्योंहार में फीकी रही रौनक

मूर्तिकारों काा कहना हैै कि, इस बार ऊंची और बड़ी मूर्ति नहीं बनाई गई है। सिर्फ घरघुती के लिए छोटी और मिट्टी की मूर्तियों की ही मांग अधिक हैै।

बाप्पा का हुआ आगमन लेकिन कोरोना के कारण त्योंहार में फीकी रही रौनक
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महाराष्ट्र (maharashtra) सहित पूरे देश में गणेश चतुर्थी (shreeganeshmitramandal) मनाई जा रही है। लेकिन कोरोना महामारी (Coronavirus pandemic) के चलते सरकार और प्रशासन की तरफ से कई पाबंदियां लगाई गई हैं। जिसके कारण इस बार गणेश चतुर्थी की (sarvajanik ganeshotsav mandal)
रौनक गायब है।

महामारी के कारण कई छोटे बड़े मंडलों के जगह जगह लगने वाले सार्वजनिक पंडाल (sarwajanik ganeshotsav mandal) इस बार नहीं लगाए गए हैं।

हालांकि इस बार घरघुती मूर्तियों की संख्या में बिक्री हुई है लेकिन पिछले साल की अपेक्षा कम ही है। सरकारी पाबंदियों के कारण इस बार 4 फ़ीट से अधिक ऊंची मूर्तियों पर प्रतिबंध लगाया गया है। 

तो वहीं मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों काा कहना  हैै कि, इस बार ऊंची और बड़ी मूर्ति नहीं बनाई गई है। सिर्फ घरघुती के लिए छोटी और मिट्टी की मूर्तियों की ही मांग अधिक हैै।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, BMC के सार्वजनिक गणेशोत्सव समन्वय समिति के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल मुंबई में लगभग 10 हजार से अधिक सार्वजनिक पंडाल (sarwajanik ganeshotsav mandal) लगाए जाते हैं, जिसमें से लगभग 3000 पंडाल रास्ते पर रहते हैं। और करीब 2.5 से 3 लाख घरघुती गणपति स्थापित की जाती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। इस बार कोरोना के कारण पंडाल सहित घरघुती गणपति की संख्या में भी कमी आई है।

मन्नतों के राजा कहे जाने वाले मुंबई की सबसे फेमस गणपति 'लालबाग के राजा' (lalbaug cha raja) में सिर्फ 4 फीट की ही मूर्ति स्थापित की गयी है। साथ ही यहां ब्लड डोनेशन कैंप और प्लाज्मा डोनेशन कैंप भी आयोजन किया गया है।  

जबकि 'अंधेरी चा राजा' (andheri cha raja) जहां कई बॉलीवुड (bollywood) सेलेब्रिटी बाप्पा का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं वहां भी इस बार यहां पहले की अपेक्षा छोटी मूर्ति स्थापित की गई है। साथ ही इस बार मूर्ति विसर्जन के लिए आर्टिफिशियल तालाब बनाया गया है।

यहां लॉकडाउन (lockdown) नियमों का पालन के तहत पंडाल में सोशल डिस्टेंसिंग (social distance) का पालन करने, एक बार में सिर्फ एक ही बाप्पा के दर्शन करने के अलावा मूर्ति के पैर भी नहीं छूने जैसे नियम बनाये गए हैं।

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