पोकेमॉन गो का क्रेज, युवाओं में सर चढ़कर बोल रहा है। इस गेम को खेलने के लिए युवा सड़कों पर उतर आए हैं। पर अभी तक इस खेल को मान्यता नहीं मिली है। फिर भी यह गेम युवाओं पर शुमार है। पोकेमॉन को खोजने के लिए युवा रात दिन एक किए हैं। पर युवाओं को इसके घातक परिणामों की खबर तक नहीं है। नाना भोईर परिवार लोगों को जागृत करने के लिए आगे आया है। उनका कहना है कि लोग पोकेमॉन की जगह यदि कोई मैदानी खेल खेलते हैं। जिससे खुद का फायदा तो होगा ही देश का भी फायदा होगा।
संतोष म्हात्रे – पिछले 27 सालों से भोईर परिवार सामाजिक विषयों को लेकर बप्पा का डेकोरेशन करते आ रहे है। इसका मकसद लोगों को सिर्फ मनोरंजन न करते हुए जन जागृति के संदेश देना भी है। इससे पहले इन्होंने बेटी बचाओ, मोबाईल टॉवर से होने वाले खतरे जैसे विषयों पर संदेश दिए हैं।
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