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जीएसटी और प्लास्टिक बंदी से फीका पड़ेगा गणेशोत्सव?


जीएसटी और प्लास्टिक बंदी से फीका पड़ेगा गणेशोत्सव?
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पिछले साल की तरह इस बार भी बप्पा के भक्तों को बप्पा की मूर्ति महंगे दामों में खरीदना पड़ेगा, इसका कारण है GST। बप्पा की मूर्ति बनाने के लिए कई वस्तुओं आवश्यकता होती है, लेकिन अब इनमे से कई चीजें GST के अंतर्गत आ गयीं हैं जिससे बप्पा की मूर्तियों के दामों में वृद्धि होगी। इस मूल्य वृद्धि से मूर्तिकारों को झटका लग सकता है।

 
'धंदा हो सकता है मंदा'
आपको बता दें कि पिछले साल 1 जुलाई को केंद्र सरकार ने जीएसटी लागू होने की घोषणा की थी। जीएसटी के दायरे में कई वस्तुएं आने से महंगी हो गयीं थीं, जीएसटी से बप्पा की मूर्ति भी नहीं बच पाई थी। पिछले साल ही बप्पा की मूर्तियां महंगे दामों ने बिकी थीं जिससे कई मूर्तिकारों की बिक्री में गिरवाट आई थी। मूर्तिकारों को डर है कि इस बार भी कहीं ऐसा न हो।

प्लास्टिक बंदी और जीएसटी से परेशान 
जब से प्लाटिक बंदी शुरू हुई तब से मूर्तिकारों की परेशानी और भी बढ़ गयी है। राज्य सरकार ने इसी साल जून महीने से प्लास्टिक और थर्माकोल के बिक्री पर पाबंदी लगा दी है जिससे सजावट का व्यवसाय करने वालों का धंदा मंदा हो गया है। अभी हाल ही में सजावट का व्यवसाय करने वालों ने कोर्ट ने प्लास्टिक बैन के खिलाफ याचिका दाखिल की थी जिसे कोर्ट ने रद्द कर दिया। 

गणेश मूर्ति बनाने के लिए पीओपी, कलर सहित अन्य कई सारी वस्तुएं लगती हैं, इनमे से लगभग सभी वस्तुएं जीएसटी के दायरे में आती हैं। हम 5 फीट से लेकर 20 फ़ीट तक की मूर्तियां बनाते हैं जिनकी कीमत 5 हजार रूपये से लेकर लाख रूपये तक होती है। लेकिन यह बिकेंगी इसे लेकर हमे संदेह है।
- कुणाल पाटील, मुर्तीकार

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