बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) की मूर्ति पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के प्रतिबंध को जारी रखा है। उच्च न्यायालय इस संबंध में ग्रीन आर्बिट्रेशन द्वारा पारित आदेश को सही ठहराया है और याचिकाकर्ताओं को राहत देने से इनकार कर दिया।
NGT के आदेश पर सवाल
याचिकाकर्ताओं के वकील संजय गुंजकर ने NGT के आदेश पर सवाल उठाया था की केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बिना किसी वैज्ञानिक अध्ययन के पीओपी के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है,जिसके कारण मुर्तिकारो को इससे नुकसान हो रहा है। हालांकी कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा की प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों की जगह मिट्टी की मूर्तियां पर्यावरण की पूरक हैं ।
ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मूर्तिकार की मांग को खारिज किया
पीओपी पर प्रतिबंध के खिलाफ पिछले साल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। मुंबई उच्च न्यायालय ने मामले को नेशनल ग्रीन आर्बिट्रेशन के पास भेज दिया था। ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मूर्तिकार की मांग को खारिज कर दिया और पीओपी पर प्रतिबंध को बरकरार रखा। इसी फैसले को कुछ लोगों ने मुंबई हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका में चुनौती दी थी। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मकरंद कार्णिक की पीठ के समक्ष सोमवार को मामले की सुनवाई हुई।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने 2010 में पीओपी के उपयोग पर रोक लगाने वाला एक नियम जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां और पीओपी बहुत अधिक जल प्रदूषण पैदा कर रहे हैं। इसके बाद 2020 में संशोधित दिशानिर्देश जारी किए गए। साथ ही, गणेशोत्सव और नवरात्रि के दौरान प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों के निर्माण और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसकी जगह मूर्ति के लिए शादु मिट्टी का उपयोग करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
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