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Coronavirus : तूफान आने के पहले का सन्नाटा तो नहीं?

जिस तरह से लोग बिना मास्क (mask) के भीड़ में घूम रहे हैं, उससे तो यही कहा जा सकता है कि, कम होते कोरोना के केस कहीं तूफान के आने से पहले का सन्नाटा तो नहीं है।

Coronavirus : तूफान आने के पहले का सन्नाटा तो नहीं?
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कोरोना (Covid19) के संदर्भ में कुछ शहरों को छोड़ दिया जाए तो मुंबई (mumbai) सहित देश भर से अच्छी खबर ही आ रही है। हर जगह से मरीजों के संख्या में कमी आने की सूचना मिल रही है। मुंबई (mumbai) में भी अब मरीजों की संख्या में लगातार कमी देखने को मिल रही है। तो दूसरी तरफ़ महाराष्ट्र सरकार (maharashtra government) भी अनलॉक (unlock) प्रक्रिया के तहत सभी क्षेत्रों में या तो ढील दी रही है या फिर खोल रही है। कई जगहों से तो कोविड सेंटरों (Covid center) के बंद होने की भी खबरें सामने आ रही है। यह सब एक शुभ संकेत हैं। लेकिन अभी हाल के कुछ अध्ययनों पर नजे डाले तो कोरोना के फिर से पीक पर होने की बातें कही गई हैं। हालांकि खुद महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे (rajesh tope) ने इस बात की संभावना से तो इनकार किया, लेकिन आगे उन्होंने यह भी जोड़ा कि, अगर ऐसा कुछ होता है तो हम तैयार बैठे हैं। इसलिए विषेशज्ञ अभी भी लोगों लापरवाही न बरतने की सलाह देते हुए कोरोना के सभी प्रोटोकॉल (Corona protocol) को फॉलो करने की अपील कर रहे हैं। लेकिन लोग हैं कि मान ही नहीं रहे हैं। जिस तरह से लोग बिना मास्क (mask) के भीड़ में घूम रहे हैं, उससे तो यही कहा जा सकता है कि, कम होते कोरोना के केस कहीं तूफान के आने से पहले का सन्नाटा तो नहीं है।

सरकार के साथ साथ विशेषज्ञ, डॉक्टर्स भी कह रहे हैं कि, जब तक कोरोना वायरस से उपजी कोविड-19 महामारी पर लगाम लगने के स्पष्ट संकेत न मिल जाएं, तब तक शासन-प्रशासन के साथ आम जनता के लिए भी सतर्कता बनाए रखना आवश्यक है। शायद इसी आवश्यकता को ध्यान में रखकर अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (prime minister narendra modi) ने कोरोना के खिलाफ बचाव को लेकर एक जन आंदोलन की शुरुआत की।

प्रधानमंत्री की इस बात को गंभीरता से लेने की जरूरत है कि 'जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं"। कोरोना के मरीजों की संख्या में गिरावट के बाद भी सावधान रहने की जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि मौसम में तब्दीली हो रही है और कुछ बड़े पर्व भी करीब आ रहे हैं। मौसम में बदलाव देश के एक बड़े हिस्से में वायु प्रदूषण (air pollution) को बढ़ा सकता है और यह स्थिति कोरोना मरीजों के लिए घातक साबित हो सकती है। इसी तरह त्योहारों के अवसर पर शारीरिक दूरी (social distance) के उल्लंघन के कारण भी कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ सकता है।

हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि, केरल में ओणम (onam) और महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के बाद कोरोना मरीजों में वृद्धि देखी गई। केरल (keral) और महाराष्ट्र के लोगों ने जो गलती की, उससे शेष देश के लोगों को सबक लेना चाहिए- इसलिए और भी कि अभी इस बारे में सुनिश्चित नहीं हुआ जा सकता कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर नहीं आएगी।

दुनिया के दूसरे देशों का अनुभव कुछ कहता है तो यही कि अपने देश में भी संक्रमण की दूसरी लहर सिर उठा सकती है। इसकी नौबत नहीं आने देनी चाहिए, अन्यथा रफ्तार पकड़ती आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियां फिर से शिथिल हो सकती हैं। संक्रमण की दूसरी लहर केवल अर्थव्यवस्था पर ही नए सिरे से बुरा असर नहीं डालेगी, बल्कि महामारी से निपटने में लगे स्वास्थ्य तंत्र के लिए भी बोझ साबित होगी।

यह सही है कि लोग महामारी से उपजी परिस्थितियों का सामना करते-करते उकता गए हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि संयम और सतर्कता का साथ छोड़ दिया जाए। यह ठीक नहीं कि सार्वजनिक स्थलों पर लोग शारीरिक दूरी के प्रति उतने सतर्क नहीं दिखते, जितना उन्हें दिखना चाहिए।

इसी तरह बहुत से लोग मास्क का सही तरह से उपयोग करने में आनाकानी कर रहे हैं और वह भी तब, जब इससे भली तरह अवगत हैं कि इससे वे अपने साथ-साथ अपनों को भी खतरे में डालने का काम करते हैं। हमें एक नागरिक के तौर पर यह समझना ही होगा कि स्वयं को सुरक्षित रखना अब हमारी राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।

हमें न केवल एक इंसान बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए। बल्कि दूसरों को भी नियमो का पालन करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इसी में सरकार के साथ साथ सभी की भलाई निहित है। और इसके लिए सरकार को भी कड़ाई से कानून बनाने होंगे।

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