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मुंबई के सीवर से मिल रहे हैं कोरोना वायरस

यह प्रशासन के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि मुंबई जैसे शहर में लाखों लोग सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग हर दिन करते हैं, जिसमें, बुजुर्ग, महिला, बच्चे और जवान भी शामिल हैं।

मुंबई के सीवर से मिल रहे हैं कोरोना वायरस
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मुंबई के स्लम इलाकों में बने सीवर में अब कोरोना वायरस पाए जा रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े स्लम इलाके धारावी के सीवर में वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस का पता लगाया है। यह प्रशासन के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि मुंबई जैसे शहर में लाखों लोग सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग हर दिन करते हैं, जिसमें, बुजुर्ग, महिला, बच्चे और जवान भी शामिल हैं।

धारावी के अलावा वडाला, शिवाजी नगर, कुर्ला, कंजूरमार्ग, मालाड के भी स्लम इलाकों की गटर में कोरोना वायरस मिले हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये कोरोना वायरस संक्रमितों के मल के जरिए सीवर तक पहुंच रहे हैं। कुछ ही समय पहले हैदराबाद में सीसीएमबी के वैज्ञानिकों ने भी सीवर में कोरोना वायरस मिलने की पुष्टि की थी। 

रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी के वैज्ञानिकों ने पोलियो मॉडल के आधार पर मुंबई की छह अलग अलग झुग्गी बस्तियों के सीवर का सैम्पल लेकर जब उसकी जांच की तो उसमें कोरोना वायरस की मौजूदगी का पता चला। कोरोना महामारी से पहले इन छह झुग्गी इलाकों से सैंपल लिए गए थे। इसके बाद लॉकडाउन के दौरान 11 से 22 मई के बीच 20 सैंपल एकत्रित किए गए थे।

वैज्ञानिकों ने बताया, साल 2001 में भी इसी तरह से पोलियो संक्रमण को लेकर भी जांच की गई थी। 

वैज्ञानिकों ने बताया, सीवर के पानी की तीन लेयर में जांच की जाती है। ऊपरी और निचली लेयर को छोड़ दें तो कोरोना वायरस के विषाणु मध्यम लेयर में ही मिले हैं जो कि पहली बार देखने को मिला है। अब तक दुनिया के किसी देश में इसे लेकर पुष्टि नहीं हो पाई है। उन्होंने आगे कहा, कोरोना वायरस के होने के बारे में सबसे पहले दुनिया को नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने बताया था। 

अध्य्यन के मुताबिक संक्रमण के चपेट में आने के बाद लक्षण वाले मरीजों के मल से एक सप्ताह में ही यह वायरस सीवर तक पहुंचने लगते हैं। मल के अलावा संक्रमित मरीज के नहाते वक्त इस्तेमाल साबुन, शैंपू, वॉशिग पाउडर आदि के जरिए भी संक्रमण सीवर तक पहुंच सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना के आगमन से पहले यानी 11 से 18 मार्च के दौरान धारावी व वडाला से जो सीवर के सैम्पल लिए गए थे, जांच में वे निगेटिव मिले। इसके बाद जब इन इलाकों में कोरोना संक्रमित मरीज मिलना शुुरू हुए तो कुछ वक्त बाद दो दो सैंपल लिए गए। अंतिम बार में लिए गए सभी 12 सैंपल मे कोरोना संक्रमित पाए गए। कुछ दिन पहले तक जिन जगहों पर कोरोना संक्रमण नहीं था वहां महज डेढ़ महीने में ही सीवर तक कोरोना संक्रमण पहुंच चुका था।

मुंबई जैसे सघन और झुग्गी वाले शहर में यह चिंता का विषय है। यहां झुग्गी में रहने वाले लाखों लोग हर दिन सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग करते हैं। जिसमें हर उम्र के लोग शामिल हैं, तो ऐसे में वायरस के फैलने का खतरा अभी भी मंडरा रहा हैं। 

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