मुंबई (mumbai) के कोलाबा (Colaba) स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च (TIFR) के वैज्ञानिकों ने एक चौकानें वाली रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी महीने में मुंबई की झुग्गियों (slum in mumbai) में रहने वाले 80 प्रतिशत लोग कोरोना की चपेट में आ सकते हैं। रिपोर्ट में 26 अक्टूबर तक के डाटा का विश्लेषण किया गया है।
इसके मुताबिक, यह भी कहा गया है कि मुंबई के झुग्गियों (slum) की 80 प्रतिशत आबादी और गैर-स्लम की 55 प्रतिशत आबादी जनवरी 2021 तक कोरोना (Coronavirus) संक्रमित हो सकती है। ऐसे में मुंबई की झुग्गियों (slum area) में जनवरी 2021 तक हर्ड इम्यूनिटी भी विकसित हो सकती है।
रिसर्च टीम ने दावा किया है कि मुंबई में कोरोना वायरस(Corona virus) संक्रमण का एक पीक दिवाली के एक या दो हफ्ते बाद सामने आ सकता है और यह पहले की तुलना में कहीं अधिक तेज हो सकता है।
TIFR स्कूल ऑफ टेक्नोलोजी एंड साइंस के डीन डॉ. संदीप जुनेजा ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि, त्योहारों को देखते हुए खतरा बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि, जिस तरह पहले गणेशोत्सव के बाद मुंबई में कोरोना तेज गति से फैला था, उसी तरह से दिवाली पर एक-दूसरे से मिलना-जुलना हुआ तो उस दौरान संक्रमण कम होगा।
रिपोर्ट के आधार को अनलॉक (unlock) को बनाया गया है। यानी इस बात को आधार बनाया गया है कि, जनवरी महीने तक ट्रेंन सहित अन्य बंद सभी क्षेत्रों को भी खोल दिया जाएगा।
हालांकि उन्होने यह भी कहा कि, 2021 में स्कूलों और कॉलेजों को फिर से खोलने से अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या ज्यादा नहीं होगी।लेकिन डॉ. जुुनेजा ने यह कहा कि, जनवरी 2021 की तुलना में 1 नवंबर को अस्पताल में भर्ती होने की दूसरी लहर काफी हद तक अधिक होगी।
TIFR ने BMC के साथ कुछ वॉर्डों का सर्वे किया, जहां कोविड 19 की व्यापकता का अध्ययन किया। सर्वे के अनुसार, जुलाई में किए गए एक अध्ययन में स्लम बस्तियों में 57 फीसदी और गैर-स्लम बस्तियों में 16 फीसदी कोविड 19 के प्रति एंटीबॉडीज थे, जो अगस्त में 42 प्रतिशत और 18 प्रतिशत थे।