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वसईकरों के लिए खुशखबरी, अब वसई में होगा कोरोना टेस्ट

वसई में कोरोना टेस्ट सेंटर उपलब्ध नहीं है। इसलिए नमूनों को टेस्ट के लिए वसई से लिया जाता और उसे परीक्षण के लिए मुंबई भेजा जाता था। लेकिन इस कार्य मे विलंब होता था, टेस्ट रिपोर्ट समय पर नहीं मिलती थी।

वसईकरों के लिए खुशखबरी, अब वसई में होगा कोरोना टेस्ट
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वसई (vasai) और उसके आसपास रहने वाले लोगों के लिए खुशखबरी है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की मंजूरी के बाद अब मुंबई के निकट पालघर के वसई में कोरोना वायरस (Coronavirus) का टेस्ट किया जाएगा। अब वसईकरों को कोरोना संदिग्धों के टेस्ट (Covid-19 test) कराने के लिए रिपोर्ट को मुंबई भेजने की आवश्यकता नहीं होगी। इस सुविधा से वसई-विरार म्यूनीसिपल कॉर्परेशन कॉर्पोरेशन को काफी राहत मिली है।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने वसई-विरार नगर निगम (VVMC) के अग्रवाल क्वारंटाइन सेंटर में कोरोना परीक्षण के लिए स्वीकृति दी है। वसई के एक सामाजिक कार्यकर्ता चरण भट ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र भेजकर वसई में एक सरकारी कोरोना परीक्षण प्रयोगशाला खोलने की मांग की थी। 25 अप्रैल को, स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य के मुख्य सचिव को इस संबंध में आगे की कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।  

उसके बाद, 28 अप्रैल को मुख्य सचिव ने वसई-विरार नगर आयुक्त गंगाधरन.डी से मुलाकात की और उन्हें इस संबंध में तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया था। इसके बाद चरण भट को 5 मई को सूचित किया गया कि आयुक्त ने संबंधित विभाग को तत्काल कार्रवाई के लिए एक पत्र भेजा है। लेकिन इस मामले में 5 मई के बाद भी कई दिन बीत गए लेकिन कोई कार्रवाई नही हुई। इसके बाद भट मानवाधिकार आयोग से इस बात की शिकायत की थी।

उसके बाद, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नागपुर के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रो. मीना मिश्रा ने वसई में अग्रवाल क्वारंटाइन सेंटर (quarantine center) का निरीक्षण किया था। इस सेंटर पर सुविधाओं, अप-टू-डेट उपकरणों के साथ-साथ प्रशिक्षित कर्मचारियों आदि की समीक्षा की गई और तदनुसार रिपोर्ट की गई। जिसके बाद अब इस मामले में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने स्वीकृति दी।

वसई-विरार नगर निगम क्षेत्र में प्रतिदिन औसतन 300 कोरोना रोगी पाए जाते हैं।  हालांकि, वसई में कोरोना टेस्ट सेंटर उपलब्ध नहीं है। इसलिए नमूनों को टेस्ट के लिए वसई से लिया जाता और उसे परीक्षण के लिए मुंबई भेजा जाता था। लेकिन इस कार्य मे विलंब होता था, टेस्ट रिपोर्ट समय पर नहीं मिलती थी। नतीजतन, रोगी के उपचार में देरी हो जाती थी।

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