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10 साल से नीचे 700 बच्चे कोरोना पोज़िटिव, लेकिन रिकवरी रेट भी अधिक

छोटे बच्चों की रिकवरी दर अच्छी है। इसमें कोई चमत्कार नहीं है बल्कि बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता बड़ों की अपेक्षा काफी अच्छी होती है। इसलिए उनका रिकवरी रेट भी काफी अच्छा होता है।

10 साल से नीचे 700 बच्चे कोरोना पोज़िटिव, लेकिन रिकवरी रेट भी अधिक
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मुंबई में कोरोना के मरीजों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। मुंबई में 10 वर्ष से कम आयु के कोरोना पीड़ित बच्चों की संख्या 700 के लगभग है। लेकिन अच्छी खबर यह है कि अधिकांश बच्चे ठीक हो गए हैं और मृत्यु दर नगण्य के बराबर है। डॉक्टर वैसे भी सावधानी बरत रहे हैं क्योंकि सभी के लक्षण अलग-अलग दिखते हैं। यह जरूरी नहीं कि बच्चों में भी वयस्कों की तरह कोरोना के लक्षण दिखे, जिसे लेकर डॉक्टर भी सतर्क हैं।

अभी तक मुंबई में 0 (शून्य) से लेकर 10 (दस) आयु वर्ग के केवल 2% बच्चे ही कोरोना से संक्रमित हैं।  इन 2 फीसदी में से केवल एक की मौत हुई है। 11 से 20 वर्ष की आयु वर्ग के लगभग 1,200 बच्चों का कोरोना हुआ है। इस वर्ग आयु में अभी तक दो लोगों की मौत हुई है।

इस बारे में डॉक्टरों का कहना है कि ज्यादातर बच्चों में कोरोना के लक्षण नहीं होते हैं। लेकिन कुछ में कोरोना के लक्षण होते हैं जैसे बुखार का आना और सांस लेने में तकलीफ होना। साथ ही कुछ लोगों को पेट में दर्द और डीहाईड्रेशन का अनुभव होता है।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरभि राठी ने कहा, बच्चे वयस्कों की तुलना में तेजी से ठीक हो रहे हैं। यहां तक कि नवजात शिशु और कम वजन के बच्चे भी पूरी तरह से ठीक हो रहे हैं।

वर्तमान में कोरोना पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं के लिए एक वार्ड नायर अस्पताल में स्थापित किया गया है। इस वार्ड में जन्म लेने वाले 161 बच्चे सभी ठीक हैं, कोई भी कोरोना संक्रमित नही मिला।

इस बारे में भी राठी ने कहा, "हम उन्हें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन या टोसीलिज़ुमब जैसे महंगे एंटीबायोटिक्स नहीं दे रहे हैं।"

हिंदमाता अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. बिजल श्रीवास्तव इस बारे में कहते हैं कि, बच्चों में कोरोना या तो माता-पिता से आता है या परिवार के सदस्यों से। मेरे पास आए 8 बच्चों को बुखार, लूज मोशन और जुकाम था।

एक मामले का जिक्र करते हुए श्रीवास्तव ने कहा कि, एक नवजात को जन्म के तीन घंटे बाद ही बुखार हो गया था, हमने उस बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा, इसके बाद बच्चे के स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार होने लगा। और 18 दिन में ही बच्चा पूरी तरह से ठीक हो गया।

हमने बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा।  धीरे-धीरे बच्चे की हालत में सुधार हो रहा था।  18 दिनों के बाद, बच्चा पूरी तरह से चंगा हो गया और घर चला गया।  उसकी मां ने भी नकारात्मक परीक्षण किया, डॉक्टर ने कहा।

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नितिन शाह ने कोरोना पोज़िटिव के सबसे छोटे बच्चे के इलाज किया है। इन्होने बताया कि शुरू में इस बच्चे को बुखार था। जब हमने बच्चे की मां का कोरोना टेस्ट किया तो वह नकारात्मक आई।  लेकिन बच्चे की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। नितिन शाह ने कहा कि बच्चे को दी जाने वाली साधारण गोलियों से बच्चा बेहतर होता चला गया।

उन्होंने कहा छोटे बच्चों की रिकवरी दर अच्छी है।  इसमें कोई चमत्कार नहीं है बल्कि बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता बड़ों की अपेक्षा काफी अच्छी होती है। इसलिए उनका रिकवरी रेट भी काफी अच्छा होता है।

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