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कोरोना के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने की तैयारी

देश में कोरोना की खिलाफ जंग जीतना आसान काम नहीं है, यह बात कम से कम महाराष्ट्र और दिल्ली की हालत को देखकर कही जा सकती है. केंद्र सरकार महाराष्ट्र की ओर विशेष ध्यान दे.

कोरोना के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने की तैयारी
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महाराष्ट्र दिन के अवसर पर इस वर्ष भी कोई खास आयोजन नहीं होने वाला है। पिछले वर्ष दस्तक देने वाली कोरोना महामारी (Corona pandemic) से फैलाव को रोकने के लिए महाराष्ट्र में कोरोना टीकाकरण (vaccination in maharashtra) में सबसे आगे हैं। महाराष्ट्र सरकार ने इस वर्ष 1 मई यानि को एक मई को महाराष्ट्र दिवस कोरोना महामारी के खिलाफ एक विशेष अभियान चलाया जाएगा। महाराष्ट्र में कोरोना महामारी के खिलाफ जंग बड़ी तेज गति की जारी है। पहले चरण में तालाबंदी (lockdown) बढ़ाने तो दूसरे चरण में 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी लोगों को सरकार की ओर से कोरोना का टीका लगाया जाएगा। कोरोना के दूसरी लाट का फैलाव रोकने के लिए सरकार की ओर से लिया गया दूसरा निर्णय  बहुत अच्छा हो असला फिर भी उसका सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है। 1 मई से सरकार ने सभी को कोरोना का वैक्सीन (vaccine) लगाने का फरमान तो सरकार ने जारी तो कर दिया लेकिन क्या सभी को टीका लगाया जा सकेगा, यह सवाल सर्वत्र उठाया जा रहा है। अभी तो सभी वरिष्ठ नागरिकों को भी टीका नहीं दिया जा सका है, ऐसी स्थिति में 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी लोगों को वैक्सीन लगाना किसी चुनौती से कम नहीं है।

देश में कोरोना की खिलाफ जंग जीतना आसान काम नहीं है, यह बात कम से कम महाराष्ट्र और दिल्ली की हालत को देखकर कही जा सकती है। केंद्र सरकार महाराष्ट्र की ओर विशेष ध्यान दे। राज्य सरकार कहीं से भी कोरोना से बचने का टीका खरीदना चाहिए ओर उसे  नागरिकें को लगवाना चाहिए। महाराष्ट्र में 18 से 44 इस आयु सीमा वर्ग में 5.71 करोड़ नागरिक हैं। वर्तमान में जारी टीकाकरण की गति को देखते हुए इस प्रक्रिया को पूरा होने में बहुत वक्त लग सकता है। इसका सीधा अर्थ यह है कि अभी टीकाकरण बहुत समय तक जारी रहेगा। टीकाकरण की गति बढ़ाने और करोना ग्रस्त मरीजों की चिंता करना, ऐसी दोहरी लढाई महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग को लड़नी पड़ेगी। महाराष्ट्र सरकार ने निशुल्क टीका लगाने के लिए साढे छह हजार करोड़ रुपए का खर्च करने का लक्ष्य रखा है। इतना होने पर भी निशुल्क  टीका केवल सरकारी केंद्रों पर ही मिलेगा, निजी अस्पतालों में टीका लगाने पक पैसे खर्च करने होंगे। एक मई से अगर 18 वर्ष और उससे ऊपर की आयु सीमा वाले नागरिकों को टीका लगाना संभव नहीं है या नहीं, इस बारे में राज्य सरकार को पहले ही विचार करना चाहिए था।

 अब जबकि 1 मई से 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी लोगों को कोरोना का टीका लगाने का निर्णय कर लिया गया है, ऐसे में 1 मई से कोरोना के खिलाफ शुरु होने वाली मुहिम कितनी सफल हो पाएगी, इस पर सवाल भी उठाए जा रह हैं। वर्तमान में महाराष्ट्र सरकार का ध्यान आक्सीजन की आपूर्ति तथा औषधियों की उपलब्धता कराने पर विशेष रूप से लगा हुआ है। मरीजों के लिए बेड तथा ऑक्सिजन सिलेंडर प्राप्त करना किसी चुनौती से कम नहीं है। कोरोना की जांच तथा कोरोना का टेस्ट कराने को लेकर लोगों में जिस तरह का भय व्याप्त है, उसे लेकर इस बात की चर्चाएं भी खूब हो रही हैं कि आखिर सबको टीका लगाने का अभियान कैसे सफल होगा।

पिछले कुछ दिनों में मुंबई तथा महाराष्ट्र के कुछ अन्य जिलों में भी कोरोना मरीजों की संख्या में काफी कमी हुई है। यह भी संभव है कि आने वाले दिनों में कोरोना मरीजों की संख्या में और कमी आ सकती है। रेमडेसिबीर इंजेक्शन की मांग भी मरीजों की संख्या कम होने पर आज की तुलना में आने वाले दिनों में कम हो जाएगी। कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं कि 1 मई से शुरु हो रहा कोरोना के खिलाफ टीके की जंग कितनी सफल हो पाएगी। यह तो अभियान शुरु होने के बाद ही सामने आ पाएगा लेकिन इतना तो है कि सबको टीका लगाने के अभियान को शत-प्रतिशत सफल बनाना स्वास्थ्य तथा जिला प्रशासन दोनों के लिए आसान नहीं है।

Note: लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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