स्वास्थ्य से संबंधित सामाग्री प्रकाशित करने वाली विश्व प्रसिद्ध पत्रिका 'द लैंसेट' में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, पिछले 14 महीनों में भारत के लगभग 1,19,000 बच्चों ने किसी न किसी रूप में अपने पैरेंट्स को कोरोना (covid19) संक्रमण के कारण खो दिया है।
रिपोर्टों के अनुसार, इस मामले में भारत (india) विश्व में तीसरे स्थान पर है।
प्राथमिक देखभाल करने वाले पैरेंट्स की मृत्यु दर 1,000 बच्चों पर 0.3 पर प्रति की दर से दक्षिण अफ्रीका (5·1), मेक्सिको (3·5), ब्राजील (2·4), कोलंबिया (2·3), ईरान (1·7), अमेरिका (1·5), अर्जेंटीना (1·1) और रूस (1·0) है।
इसके अलावा, यह देखा गया कि माता की तुलना में मृत पिता की दर अधिक है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ड्रग एब्यूज (NIDA) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) द्वारा वित्त पोषित अध्ययन में कहा गया है कि, कोरोना की वजह से भारत में 25,500 बच्चों ने अपनी मां को 90,751 ने अपने पिता को और 12 ने अपने दोनों यानी माता और पिता को खो दिया है।
भारत में फरवरी 2021 से लेकर अप्रैल, 2021 तक कोरोना वायरस (coronavirus) से संबंधित मौतों में तेजी से वृद्धि हुई है। अध्ययन के अनुसार, यह मार्च की तुलना में अप्रैल में अनाथ या देखभाल करने वाले बच्चों की संख्या में 8·5 गुना तक वृद्धि हुई है।
अध्ययन में यह भी बताया गया है कि COVID-19 के कारण 1,134,000 बच्चों ने माता-पिता या संरक्षक दादा-दादी को खो दिया। इनमें से 10,42,000 बच्चों ने अपने माता, पिता या दोनों को खो दिया। हाालांकि अधिकांश ने केवल एक पैरेंट्स को ही खोया है या तो माता को या फिर पिता को, दोनों को नहीं।
विश्व स्तर पर, दुनिया भर के 21 देशों में 1.5 मिलियन से अधिक बच्चों ने कम से कम एक प्राथमिक देखभालकर्ता को खो दिया है।
एनआईएच द्वारा एक मीडिया विज्ञप्ति के अनुसार, कुल मिलाकर 1,562,000 बच्चों ने कम से कम एक माता-पिता या एक संरक्षक या अन्य सह-निवासी दादा-दादी (या अन्य पुराने रिश्तेदार) को खो दिया है।
अध्ययन में शामिल पेरू, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको, ब्राजील, कोलंबिया, ईरान, अमेरिका, अर्जेंटीना और रूस जैसे देशों को सबसे अधिक प्रभावित देशों की सूची में रखा गया हैं।9