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आओ मिलकर तोड़े कोरोना की श्रृंखला

कोरोना की जंग ज़ुबानी नहीं लड़ी जा सकती है। इसलिए भारतीयों को सरकारी नियमों का अनुपालन करने की आवश्यकता है।

आओ मिलकर तोड़े कोरोना की श्रृंखला
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कोरोना (Covid19) ने फिर एक बार अपना ख़ौफ़ दिखाना आरंभ कर दिया है। सिर्फ मुंबई (Mumbai) सहित महाराष्ट्र (maharashtra) ही नही बल्कि पूरे देश में कोरोना (Coronavirus) पैर पसारने में सफल हुआ है। कोरोना की जंग ज़ुबानी नहीं लड़ी जा सकती है। इसलिए भारतीयों को सरकारी नियमों का अनुपालन करने की आवश्यकता है। महाराष्ट्र में कोरोना की श्रृंखला को तोड़ने के लिए राज्य सरकार की पहल का स्वागत कर सबको करने की आवश्यकता थी।

मार्च 2020 में कोरोना ने सबसे पहले भारत में दस्तक दी। भारत (india) के बाहर कोरोना फैलता जा रहा था तब हमने आंतरराष्ट्रीय सीमाओं को सील नहीं किया। मुंबई जैसे आंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट (international airport) पर उतरने वाले विमानों के यात्रियों की जांच में ढिलाई बरती और यहीं हाल अन्य एयरपोर्ट का भी था। मुंबई में तो थर्मामीटर की जांच के बाद यात्रियों को बाहर छोड़ा गया और यही सबसे बड़ी गलती थी। विश्व के पटल पर कुछ ऐसे देश हैं जहां पर एयरपोर्ट ताबड़तोड़ सील किए गए थे और उसका लाभ भी सामने आया। कोविड की जंग पहले ही खेप में बिना लॉकडाउन (lockdown) जीती गई। विशेष बात यह भी है कि एयरपोर्ट पर उतरने वाले यात्री क्वांराटाईन (quarantine) से बचने के लिए राजनीतिक दबाव लाते थे और ख़ुद को नियमों से अलग कर बचकर निकल जाते थे। न जाने इसी में कोई कोविड का मरीज भी होगा जो बाहर जाकर खुद भी लपेट में आया होगा और कितनों की जान खतरे में डाली होगी। 

मुंबई में महानगरपालिका (bmc) ने विशेष व्यवस्थाएं की लेकिन बढ़ती हुई संख्या और कोरोना प्रभाव से यह व्यवस्थाएं कम पड़ी। हमारा मानना तब भी था और आज भी है कि मनपा ने वरली और धारावी की तर्ज पर मुंबई के हर क्षेत्र को खंगालती और घर-घर जांच करती तो जो मरीज थे उनकी पहचान हो सकती थी, ताबड़तोड़ इलाज सुरु कर रोकथाम की जा सकती थी। लेकिन मनपा से कोई सकारात्मक कारवाई के लिए राजनीतिक रसूख की आवश्यकता होती है तब मनपा मुख्यालय में बैठे बाबू काम करते है। घर- घर जांच आज तक नहीं हुई और इसका परिणाम सबके सामने है।

आज फिर एक बार मुंबई पर कोरोना का संकट है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) ने जो दिशानिर्देश दिए है उसका अनुपालन शत प्रतिशत होता है तो निश्चित तौर पर जंग जीती जा सकती है। मनपा ने बेड की संख्या बढ़ा दी है। वॉर रूम मुंबई के 24 मनपा वार्ड कार्यालय में 24 घंटे कार्यरत है। डॉक्टर और नर्स अपनी जान जोखिम में ड़ालकर सबकी सेवा करने के लिए जंग ही लड़ रहे है। लेकिन हम मुंबईकर क्या कर रहे है? लापरवाही और मनमानी से हम सिर्फ हमारा ही नहीं बल्कि पूरे समाज को आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर रहे है। एक मरीज की लापरवाही से जो शृंखला बनती है वह कोरोना की भूख को और बढ़ाती है। यहीं शृंखला को तोड़ने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने नई नियमावली बनाई है।

मुंबईकरों की यह जिम्मेदारी है कि राज्य सरकार के नियमों का अनुपालन करना चाहिए। आवश्यकता होने पर बाहर निकलना चाहिए। एक स्थान पर 5 लोगों से अधिक भीड़ से बचना चाहिए। मास्क पहनकर ही निकलना चाहिए। सामाजिक अंतर रखना चाहिए। केंद्र सरकार के निर्देश पर वैक्सीन की ख़ुराक लेकर खुद को सुरक्षित करना चाहिए। सबको मिलकर कोरोना की शृंखला को तोड़ने की आवश्यकता है।

- अनिल गलगली

(लेखक देश के जाने माने RTI एक्टिविस्ट और समाज सेवक हैं।)

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