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स्वमग्न बच्चों के लिए धारावी में विशेष कक्ष


स्वमग्न बच्चों के लिए धारावी में विशेष कक्ष
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मुंबई - आत्मकेंद्री पद्धती से 'स्वमग्न' (Autism) बच्चों पर प्रभावी उपचार करने के लिए बीएमसी की पहल और 'हाय - मीडिया' कंपनी के सहयोग से एक विशेष कक्ष शुरु किया है। धारावी परिसर के 60 फूटी रास्ते व 'छोटा सायन हॉस्पिटल' नाम से पहचाने जाने वाले नागरी स्वास्थ्य केंद्र के पहले मंजिल पर यह कक्ष शुरु किया गया है। 'स्पीच थेरपी', 'ऑक्युपेशनल थेरपी' व 'रेमेडियल थेरपी' इन तीन उपचार पद्धति से स्वमग्न बच्चों का इलाज किया जा रहा है।
मंदगति से आई हुई स्वमग्नता एक अनोखी मानसिक बिमारी है, ऐसे मन्दगति बच्चे हमेशा अकेले रहते हैं, जो अक्सर पढाई पूरी नहीं कर घर छोड़ देते हैं, वो हमेशा अपनी ही दुनिया में खोए रहते है, उन्हें तस्वीरों के खिंचवाने का और नयी-नयी जगह घूमने का बहुत शौक बचपन से ही होता है, ऐसे स्वमग्न बच्चों की घर में किसी से भी प्यार मुहब्बत नहीं होती है क्योंकि वो किसी चीज को समझ ही नहीं पाता है। भारत में सामान्य दर पर हजार में से 4 बच्चे स्वमग्न होते हैं। बालरोग चिकित्सा विभाग की प्राध्यापिका और न्युरो डेवलपमेंटल सेंटर की प्रमुख डॉ. मोना गजरे ने कहा कि इनका उपचार बालरोग चिकित्सा, मनोविकार चिकित्सा और ऑक्युपेशनल थेरपी से किया जा सकता है।

 

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