मुंबई से अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना को भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना माना जाता है। एक तरफ, जहां केंद्र सरकार इस परियोजना के लिए महाराष्ट्र किसानों का विरोध झेल रही है तो वही दूसरी ओर अब गुजरात के किसानों ने भी इसके विरोध में आवाज उठाया है। 1000 किसानों के हस्ताक्षर के साथ एक हलफनामे को कोर्ट में पेश किया गया है, जिसमें किसानो ने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट परियोजना के लिए अपनी जमीन नहीं देंने की बात की है।
जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) को पत्र
जीकेएस (गुजरात खेदुत समाज) के अध्यक्ष जयेश पटेल ने मुंबई लाइव से कहा कि उन्होंने जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) को एक पत्र लिखा है कि उन्हें बुलेट ट्रेन परियोजना को वित्त सहायता नहीं देनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होने कहा की वो इस प्रोजेक्ट के लिए एक इंच भी जमींन नहीं देगे और अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं सुनी तो जरुरत पड़नेपर वह आंदोलन भी कर सकते है।
बुलेट ट्रेन की परियोजना पर सरकार 1 लाख 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है, इस परियोजना के बाद अहमदाबाद से मुंबई की दूरी जो 7-8 घंटे की यात्रा से घटकर मात्र 2 से 2.5 घंटे तक ही रह जाएगी। हालांकी की केंद्र सरकार के इस प्रोजेक्ट का विरोध अब महाराष्ट्र के किसानों के साथ साथ गुजरात के किसानों ने भी शुरु कर दिया है।
कानूनी सहायता लेने का फैसला
पटेल ने कहा की "जब तक भूमि मालिकों की 70 प्रतिशत अनुमोदन न हो, सरकार भूमि अधिग्रहण नहीं कर सकती है। इसी प्रकार, सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन रिपोर्ट की अनुपस्थिति में, सरकार भूमि अधिग्रहण नहीं कर सकती है। इसके अलावा, यदि भूमि खेती करने लायक है तो , तो सरकार भूमि अधिग्रहण नहीं कर सकती है, केंद्र सरकार केंद्रीय भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत आने वाले इन सभी मानदंडों का उल्लंघन कर रही है, जिसके कारण हमने कानूनी सहायता लेने का फैसला किया।
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