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भूख हड़ताल पर म्हाडा रहिवासी


भूख हड़ताल पर म्हाडा रहिवासी
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बांद्रा – घाटकोपर म्हाडा के रहने वाले रहिवासी पिछले 6 साल से जर्जर इमारत में रहने के लिए मजबूर हैं। इनकी तरफ से बिल्डिंग की मरम्मत के लिए कई बार म्हाडा से निवेदन भी किया गया लेकिन म्हाडा की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया गया। आखिरकार म्हाडा की इस लापरवाही से अजिज आकर 26 दिसंबर को ये बांद्रा के म्हाडा कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल पर बैठ गये। इनका कहना है कि अगर इनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो इनकी भूख हड़ताल अनिश्चितकाल तक चलेगी। भूख हड़ताल पर बैठे लोगों के अनुसार सितंबर-16 में म्हाडा के द्वारा इमारतों को रिपेयर करने की बात कही गयी थी लेकिन म्हाडा ने कुछ नहीं किया। यही नहीं इनकी तरफ से कई बार मुख्यमंत्री को भी पत्र व्यवहार किया गया फिर भी कोई कदम नहीं उठाए गये।
म्हाडा के हाउसिंग स्टॉक को लेकर 2008 में तत्कालीन सरकार द्वारा एक अधिसूचना निकाली गयी थी जो 2010 में अचानक रद्द कर दी गयी थी। इस अधिसूचना के रद्द होने से म्हाडा विकासकों के लिए परेशानी का दौर शुरू हो गया। इसी कारण म्हाडा की अनेक जर्जर इमारतों की रिपेयरिंग का काम भी रुक गया। म्हाडा की कई इमारतें ऐसी है जो पिछले 40 सालों से बिना मरम्मत के अब जर्जर अवस्था में पहुंच गयी हैं। जिसके कारण अनेक परिवार इन इमारतों में अपनी जान को जोखिम में डालकर रहने को मजबूर हैं।

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