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पर्यावरण की बलि देकर विकास कर रही है महाराष्ट्र गवर्नमेंट

कई ऐसे देश हैं जो विकास कार्य तो किए हैं लेकिन पर्यावरण को कुछ नुकसान किये बिना।

 पर्यावरण की बलि देकर विकास कर रही है महाराष्ट्र गवर्नमेंट
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महाराष्ट्र सरकार विकास के नाम पर जिस तरह से पर्यावरण से खिलवाड़ कर रही है क्या वह उचित है? किसी भी देश या राज्य के विकास का कार्य वहां मूलभूत निर्माण कार्य से लगाया जाता है, लेकिन क्या इसके लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना जरुरी है? कई ऐसे देश हैं जो विकास कार्य तो किए हैं लेकिन पर्यावरण को कुछ नुकसान किये बिना।


मेट्रो-3 के लिए कटे गए हैं हजारों पेड़ 

मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MMRCL) ने मेट्रो-3 के लिए आरे जैसे ग्रीनरी को भी नुकसान पहुंचाने में किसी भी प्रकार की कोई हिचक नहीं दिखाई। बताया जाता है कि आरे में मेट्रो-3 के कारशेड के लिए कम से कम 5000 हजार से अधिक पेड़ों को काट दिया गया। ये तो रही आरे की बात, साथ ही रास्ते में जितने भी छोटे-बड़े, नए-पुराने पेड़ आये सभी पर बेदर्दी से आरा चला दिया गया। इसके लिए कितने आंदोलन हुए,ममला कोर्ट में भी गया, जैसी सारी बातें किसी से छुपी नहीं हैं।


जुहू में भी काटे जा रहे हैं पेड़ 

अब इसी कड़ी में एक और बात सामने आई है कि MMRDA मेट्रो-2 (ब) के काम के लिए जुहू कोलीवाड़ा में समुद्री किनारे पर स्थित पेड़ो को काट कर वहां निर्माण कार्य करेगी। पता चला है कि यहां कास्टिंग यार्ड बनाया जाने वाला है। अब इस बात को लेकर पर्यावरणविदों ने फिर से अपने म्यान से तलवारें निकाल ली हैं। 'सेव ट्री' नामकी एनजीओ के सदस्य जोरू बाथेना ने इस कार्य का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह निर्माण कार्य बिना किसी सरकारी मंजूरी के किया जा रहा है वे इसकी क़ानूनी शिकायत करेंगे।  


बनाया जायेगा कास्टिंग यार्ड 

आपको बता दें कि मेट्रो-2 ब (D.N नगर-अंधेरी-मानखुर्द) काम के लिए मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) जुहू-कोलीवाड़ा बीच पर कास्टिंग यार्ड बना रहा है। करीब 10 एकड़ में बनने वाले इस कास्टिंग यार्ड में मेट्रो के पोल, गर्डर सहित अन्य कई संबंधित चीजें बनाई जाएंगी। इस काम की शुरुआत लगभग 15 दिन पहले ही हो चुकी है।


बालू खनन का कार्य भी है जारी 

यही नहीं कहा कि इस काम के बीच पर स्थित पेड़ो और मैंग्रोव्ज को काट कर जलाया जा रहा है। इसकी उन्होंने कुछ तस्वीर भी दिखाई हैं। उन्होंने दावा किया है कि सी काम के लिए किसी से मंजूरी नहीं ली गयी है बावजूद इसके MMRDA पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। जोरू बाथेना ने यह भी आरोप लगाया कि वहां बालू खनन भी किया जा रहा है जिससे आने वाले समय में यह काफी ख़तरनाक होगा। उन्होंने कहा कि वे  वृक्ष प्राधिकरण सहित पुलिस से इस बात  की शिकायत करेंगे।



MMRDA ने आरोपों को नकारा 

जोरू बाथेना के इस आरोपों के मद्देनजर जब मुंबई लाइव ने MMRDA के प्रोजेक्ट संचालक (मेट्रो) पीआरके मूर्ती से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने सारे आरोपों को सिरे से नकारते हुए जवाब दिया कि यह काम जो हो रहा है वह सही है उसमें कुछ भी गलत नहीं है।

मेट्रो-3 काम के लिए कटे गए पेड़ों का विवाद भी पूरी तरह से समाप्त भी नहीं हुआ था कि अब एक बार फिर से पर्यावरणविद और मेट्रो के टकराव होने के कयास लगाए जा रहे हैं।


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