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कंस्ट्रक्शन कार्य पर लगा स्टे सुप्रीम कोर्ट ने हटाया


कंस्ट्रक्शन कार्य पर लगा स्टे सुप्रीम कोर्ट ने हटाया
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कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को कचरे के लिए नियोजन की उचित नीति नहीं बनाने के लिए काफी फटकार लगाई थी और उचित नीति बनाने तक निर्माण कार्यों पर स्टे लगाने के आदेश दिया था। निर्माण कार्यो में रोक लग जाने के बाद बिल्डर लॉबी पर काफी दबाव था क्योंकि काम बंद होने से उन्हें घाटा हो रहा था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र और उत्तराखंड को राहत देते हुए स्टे हटा लिया।  

क्या था मामला?
दिल्ली में डेंगी के कारण एक 7 वर्षीय लड़की की मौत हो गयी थी। इस मामले को संज्ञान में लेते हुए खुद सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों में कचरे की नियोजन प्रक्रिया पर सवाल उठाए। अंक राज्यों में कचरे की उचित निपटारा नियोजन नीति नहीं होने से कोर्ट ने नाराजगी भी प्रकट की और आदेश देते हुए सभी राज्यों को उचित कचरा नियोजन नीति बनाने तक निर्माण प्रक्रिया पर रोक लगाने को कहा।

आपको बता दें कि अक्सर कई मामलों में देखा गया है कि बिल्डिंग निर्माण वाली जगहों पर काफी गंदगी होती है। जगह जगह पानी जमा होता जिन पर मच्छर पनपते हैं, मजदूरों के रहने वाली जगह भी गंदगी से भरी होती है। साथ ही बिल्डिंग निर्माण के दौरान निकलने वाली मलबे को भी सही से नियोजित करने की कोई नीति नहीं बनी है।

'नीति' पर सोती महाराष्ट्र  सरकार 
महाराष्ट्र में 'घनकचरा व्यवस्थापन नीति' बनी हुई है, लेकिन सरकार की लापरवाही के चलते उसे समय पर सुप्रीम कोर्ट में जमा नहीं किया गया।आख़िरकार कोर्ट की फटकार के बाद सरकार की नींद टूटी और कोर्ट के द्वारा दिए गए स्टे के खिलाफ अपनी 'नीति' पेश की। जिसके बाद बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में लगे 'स्टे' को हटा दिया।

निर्माण कार्य पर लगे स्टे हटने से कंस्ट्रक्शन  कार्य करने वाले लोगों को राहत मिली है। लेकिन इस बात का डर हमे भी है कि राज्य में कचरा नियोजन की जो नीति है उसे लागू नहीं किया जा रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो कोर्ट फिर से स्टे लगा सकती है। इसीलिए इस नीति को जल्द से जल्द लागू  किया जाए।
-आनंद गुप्ता, अध्यक्ष, इन्फ्रा कमिटी, बिल्डर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया

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