मुंबई - लोकल ट्रेन को मुंबई की लाइफ लाइन कहा जाता है। लेकिन बीते समय के साथ साथ ये लाइफ लाइन अब मौत की लाईन बनती जा रही है। 2012 से 2016 के बीच में उपनगरीय रेवले से 13, 984 लोगों की मौत हुई। रेलवे पटरी क्रॉस करते समय , प्लेटफॉर्म की कम उचाई भी इन मौतों की वजह हैं।
वॉचडॉग फाउंडेशन ने रेलवे से 2012 से 2016 के बीच रेल हादशों में मारे गए लोगों के बारे में जानकारी मांगी थी, जिसमे ये जानकारी सामने आई।
मध्य रेलवे मार्ग पर हादशों में हुई मौतें
साल | मौतें | रेलवे द्वारा आर्थिक सहायता |
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2012 | 2297 | 21 करोड़ 37 लाख |
2013 | 2270 | 9 करोड़ 60 लाख |
2014 | 2221 | 3 करोड़ 82 लाख |
2015 | 2187 | 12 करोड़ 26 लाख |
2016 | 2114 | 5 करोड़ 29 लाख |
कुल मौतें | 11089 | 52 कोटी 34 लाख |
पश्चिम मार्ग पर हुई मौतें
साल | मौतें |
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2012 | 604 |
2013 | 541 |
2014 | 578 |
2015 | 541 |
2016 | 631 |
कुल मौतें | 2895 |
रेलवे हादसों के लिए रेलवे प्रशाशन जवाबदार है। लेकिन कई बार प्रवासियों की भी गलती होती है। पिछलें पांच सालों में 53 हजार 329 लोगों को रेलवे नियम तोड़ने के आरोपों में पकड़े जाने की जानकारी सामने आई है।
रेलवे के नियम तोड़नेवाले यात्रियों की संख्या कुल वसूला गया जुर्माना
साल | यात्री | जुर्माना |
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2012 | 11250 | 5300416 |
2013 | 8084 | 9760960 |
2014 | 9923 | 5022790 |
2015 | 12403 | 5291850 |
2016 | 11669 | 4657805 |
कुल यात्री | 53,329 | 24,03,3,821 |
मुंबई में रेलवे से रोजाना 70 लाख लोग सवारी करते है। ऐसे में रेलवे को इस ओर जल्द ही कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।