आज ही के दिन यानी की 4 दिसंबर 1921 को मुंबई की पहचान कही जानेवाली गेटवे ऑफ इंडिया का उद्घाटन किया गया था। गेटवे ऑफ इंडिया 26 मीटर ऊंचा है। प्रवेशद्वार का निर्माण राजा जॉर्ज पंचम और रानी मैरी के आगमन 2 दिसंबर, 1911 की यादगार में हुआ था। इसके वास्तुशिल्पी जॉजॅ विंटैट थे। यह सन् 1924 में बन कर तैयार हुआ।
इस स्मारक में 4 मीनारें हैं और पत्थरों पर खोदी गई बारीक पच्चीकारी है। इसका केवल गुम्बद निर्मित करने में 21 लाख रु. का खर्च आया था। यह भारतीय - सार्सैनिक शैली में निर्मित भवन है, जबकि इसकी वास्तुकला में गुजराती शैली का भी कुछ प्रभाव दिखाई देता है।
यह संरचना अपने आप में ही अत्यंत मनमोहक और पेरिस में स्थित आर्क डी ट्रायम्फ की प्रतिकृति है।इस स्मारक को पंचम किंग जॉर्ज और महारानी मेरी के मुम्बई (तत्कालीन बंबई) आगमन के अवसर पर उन्हें सम्मानित करने के लिए बनाया गया विशाल स्मारक था।
गेटवे ऑफ़ इंडिया का निर्माण अपोलो बंदर पर कराया गया था जो मेल जोल का एक लोकप्रिय स्थान है। इसे ब्रिटिश वास्तुकार जॉर्ज विटेट ने डिज़ाइन किया था।
गेटवे ऑफ इंडिया की नींव 31 मार्च, 1911 को बंबई के राज्यपालसर जॉर्ज सिडेनहैम क्लार्क ने रखी थी. जॉर्ज विट्टेट ने 31 मार्च, 1914 को अंतिम डिजाइन पर मंजूरी दी थी।